Akhuratha Sankashti Ganesh Chaturthi Kab Hai: संकष्टी चतुर्थी के दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से शिव पुत्र भगवान गणेश का ध्यान करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं निश्चित रूप से पूरी होती हैं। और जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।
Akhuratha Sankashti Ganesh Chaturthi Kab Hai: 22 दिसंबर 2021 को पौष मास की संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. इसे अखुरथ चौथ व्रत के नाम से भी जाना जाता है। पौष मास में जब भी संकष्टी चतुर्थी आती है तो उसे अखुरथ चौथ कहते हैं। इस बार अखुरथ चौथ साल में दो बार पड़ी है। पहले यह व्रत 2 जनवरी 2021 को पौष माह में और अब फिर 22 दिसंबर 2021 को मनाया जाता है। दरअसल, हिंदू कैलेंडर में तिथियां आगे-पीछे यानी कम या ज्यादा होती हैं। इस वजह से अंग्रेजी कैलेंडर में पौष का माह 2 बार आ गया। तिथियों के घट या बढ़ जाने से हिंदू कैलेंडर के माह आगे हो जाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार चतुर्थी तिथि को विधि विधान से गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है। रात में चंद्रमा की पूजा की जाती है। और जल चढ़ाया जाता है। चतुर्थी तिथि का व्रत करने और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। गणेश पुराण के अनुसार चतुर्थी का व्रत करने से सौभाग्य और संतान की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पूजा का महत्व
संकष्टी, जैसा कि नाम से पता चलता है ,इसका अर्थ है संकट को हरने वाली। इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से दुखों और कष्टों से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली परेशानियां और बाधाएं दूर हो जाती हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से शिव पुत्र भगवान गणेश का ध्यान करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होती हैं। और जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
- अथुरा चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- बुधवार को पड़ने के कारण स इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए हो सके तो हरे रंग के वस्त्र पहनें।
- स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेकर गणपति की पूजा शुरू करें।
- पूजा करने से पहले भगवान गणेश की मूर्ति को साफ करें और उनके माथे पर तिल लगाएं।
- इसके बाद पूजन सामग्री से विधिवत पूजन करें। ध्यान रहे कि पूजा सामग्री में दूर्वा घास और लड्डू जरूर चढ़ाएं।
- शाम के समय जब चंद्रमा निकल जाए तो गणेश जी की पूजा और पाठ करें और हृदय से गणेश जी का आर्शीवाद प्राप्त करें।
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