Apara Ekadashi 2021 Katha: अचला या अपरा एकादशी को ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के नाम से जाना जाता है। 6 जून रविवार के दिन इस वर्ष अचला एकादशी व्रत रखा जाएगा। सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति और स्वर्ग लोक की प्राप्ति इस व्रत को करने से मिलती है। इस व्रत को नियम अनुसार रखने वाले को परा एकादशी व्रत कथा इस दिन अवश्य सुननी चाहिए।
अचला एकादशी व्रत मुहूर्त / Achala / Apara Ekadashi Vrat Muhurta
5 जून शनिवार को सुबह 04:07 बजे से एकादशी तिथि आरम्भ होगी।
6 जून रविवार को सुबह 06:19 बजे एकादशी तिथि समाप्त होगी।
7 जून को सुबह 05:12 बजे से 07:59 बजे तक व्रत पारण मुहूर्त रहेगा।
अचला एकादशी व्रत विधि / Achala Ekadashi Vrat Vidhi
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- सुबह जल्दी उठे।
- शौच कार्य आदि से निवृत होकर स्नान-ध्यान करें।
- विष्णु जी की पूजा व्रत का संकल्प लेकर करे।
- पुरे दिन अन्न का सेवन करने सेबचे।
- विष्णु जी की शाम के समय आराधना करे।
- विष्णुसहस्रनाम का पाठ जरूर करें।
- नियमानुसार व्रत पारण के समय व्रत खोलें।
- ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा व्रत खोलने के पश्चात् दें।
अचला एकादशी व्रत कथा / Achala Ekadashi fasting story
एक धर्मात्मा राजा जिसका नाम महीध्वज था। महीध्वज का छोटा भाई वज्रध्वज बड़े भाई से द्वेष रखता था। एक दिन इसने मौका पाकर राजा की हत्या कर दी। और उसने राजा की लाश को एक पीपल के नीचे दफन कर दिया।
अकाल मृत्यु होने की वजह से पीपल पर राजा की आत्मा प्रेत बनकर रहने लगी। आत्मा मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति को परेशान करती थी। इस रास्ते से एक दिन एक ऋषि थे। ऋषि ने प्रेत को देखा व उसके प्रेत बनने का कारण अपने तपोबल से जाना। राजा की प्रेतात्मा को ऋषि ने पीपल के पेड़ से नीचे उतारा व परलोक विद्या का उपदेश दिया।
ऋषि ने राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा। और व्रत का पुण्य द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर प्रेत को दे दिया। राजा प्रेत योनि से एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त करके मुक्त हो गया और स्वर्ग के लिए प्रस्थान कर गया है।