Chaitra Amavasya Kab Hai 2022: चैत्र अमावस्या को हमारे धर्म में बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। यह अमावस्या मार्च-अप्रैल के महीने में आती है। हालांकि इस दिन का हमारी भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। इस दिन धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियाँ की जाती हैं, जैसे स्नान, दान और सामग्री का दान। चैत्र अमावस्या (Chaitra Amavasya) को पितृ तर्पण जैसे अनुष्ठानों के लिए भी जाना जाता है। लोग कौवे, गाय, कुत्ते व यहां तक कि गरीब लोगों को भी खाना खिलाते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार अमावस्या को पूर्वज अपने वंशजों के यहां जाते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं। चैत्र अमावस्या व्रत हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय व्रतों में से एक है। अमावस्या व्रत या उपवास सुबह शुरू होता है और प्रतिपदा को चंद्रमा के दर्शन होने तक जारी रहता है। इस बार चैत्र मास की अमावस्या एक नहीं दो दिन की होगी। आइए इस बार जानते हैं कि चैत्र अमावस्या के किस दिन श्राद्ध किया जा सकता है और किस दिन स्नान-दान किया जा सकता है।
चैत्र अमावस्या तिथि
चैत्र अमावस्या तिथि आरम्भ: 31 मार्च, गुरुवार, दोपहर 12.22 बजे
चैत्र अमावस्या तिथि समाप्त: 1 अप्रैल शुक्रवार पूर्वाह्न 11.54 बजे
इसलिए अमावस्या तिथि (Amavasya Tithi) दोनों दिन मान्य होगी।
तर्पण कार्य किस दिन
ज्योतिषियों के अनुसार अमावस्या तिथि 31 मार्च गुरुवार दोपहर 12 बजकर 22 मिनट के बाद शुरू होगी। इसलिए 31 मार्च को पितरों की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण कार्य किया जा सकता है। इस दिन अमावस्या से संबंधित पूजा भी की जा सकती है।
1 अप्रैल को स्नान दान आदि
शुक्रवार, 1 अप्रैल को सूर्योदय के बाद अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए इस दिन गंगा स्नान और दान करना उत्तम रहेगा। अगर किसी कारण से आप नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इससे भी तीर्थ का फल मिलता है।
चैत्र अमावस्या का महत्व
चैत्र अमावस्या साल की पहली अमावस्या है और चैत्र के महीने (Chaitra Month) या हिंदू कैलेंडर के पहले महीने में आती है। इस साल चैत्र अमावस्या 31 मार्च और 1 अप्रैल, 2022 को पड़ने जा रही है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र अमावस्या (Chaitra Amavasya) पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन से दर्द, संकट और नकारात्मकता को खत्म करने में सहायता मिलती है। पुराणों में उल्लेख किया गया है कि इस शुभ दिन पर गंगा नदी में स्नान करने से आपके पापों व बुरे कर्मों का नाश होता है। अमावस्या तिथि (Amavasya Tithi) पर भक्त अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध भी करते हैं। ऐसा करने से पितृ दोष समाप्त हो जाता है।
चैत्र अमावस्या पर क्या करें?
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगा या घर में स्नान करें। इसके बाद मंत्रों और श्लोकों का पाठ करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
- हो सके तो अमावस्या के दिन व्रत भी रखें।
- जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र और गाय का दान करें।
- श्राद्ध के पश्चात ब्राह्मण, गरीब, गाय, कुत्ते, कौवे व छोटे बच्चों को भोजन कराएं।
- शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का मिट्टी का दीपक रखें।
- शनि मंदिर में नीले फूल, काले तिल, काले वस्त्र, उड़द की दाल और सरसों का तेल भी चढ़ाया जा सकता है।
व्रत लाभ
- चैत्र अमावस्या का व्रत करने से कई तरह की परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में शांति आती है।
- इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
- पीपल के पेड़ की इस दिन पूजा करने की भी परंपरा है। ऐसा मान्यता है कि पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है।
- चैत्र मास की अमावस्या के दिन किसी बड़े ब्राह्मण को अन्न, दक्षिणा तथा उपयुक्त वस्त्र व धन का दान करने से पितृ दोष कम होता है।
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