Chaitra Maas 2022: चैत्र मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। भारतीय नव वर्ष की शुरुआत चैत्र महीने से होती है। किसी भी नए महीने की शुरुआत पूर्णिमा के अगले दिन से होती है। इस वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा 17 मार्च को है और अगले दिन यानि 18 मार्च से चैत्र मास (Chaitra Maas) की शुरुआत हो रही है। 18 मार्च से शुरू होकर यह महीना 17 अप्रैल तक चलेगा। हर महीने की तरह इस महीने का भी खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में वसंत ऋतु का अंत होता है और गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है। नवरात्रि का सबसे पवित्र त्योहार चैत्र के महीने में आता है। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा करने से माँ प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा इस महीने में कुछ चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि इस महीने में गुड़ और मिश्री का सेवन वर्जित है। आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की वजह…
चैत्र के महीने में गुड़ और मिश्री क्यों नहीं खाते?
चैत्र के महीने में कई व्रत और त्यौहार होते हैं और व्रत के दौरान नमक का सेवन नहीं किया जाता है। ऐसे में लोग ज्यादातर मीठी चीजों का सेवन करते हैं। गुड़ और मिश्री बहुत मीठी होती है। इन दो मीठी चीजों के सेवन से व्यक्ति को परेशानी हो सकती है। इसलिए अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए इन दोनों चीजों के अलावा मीठी चीजों से परहेज करना चाहिए।
खट्टे फल भी शामिल न करें
ऐसा माना जाता है कि चैत्र मास में मीठी चीजों के अलावा खट्टे फलों को शामिल नहीं करना चाहिए। यह महीना भारत में गर्मी और सर्दी का संधिकाल होता है। ऐसे में कम और संतुलित खाना खाना ही सही है।
हमें इन चीजों का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए?
नवरात्रि का पर्व भी चैत्र मास में मनाया जाता है। जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान ज्यादातर लोग व्रत रखते हैं और मां से मन्नत मांगते हैं कि उनका जीवन सुखी और समृद्ध रहे। इसके साथ ही इस व्रत के दौरान व्रत के माध्यम से महाशक्ति का संचय होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में दिन में गर्मी और रात में ठंड होती है, इसलिए शरीर को दैहिक तापमान को संतुलित करने के लिए अधिक प्रयास करने पड़ते हैं। ऐसे में खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
इन चीजों का करें सेवन
चैत्र मास में शीतला माता के साथ नीम की पूजा की जाती है। नीम के पत्तों को प्रसाद के रूप में भी खाया जाता है। इसके अलावा बदलते मौसम के कारण इस महीने कई बीमारियां भी होती हैं। ऐसे में नीम के पत्तों आदि के सेवन से शरीर में वात-पित्त-कफ का बेहतर संतुलन बना रहता है। शीतला माता को कीटाणुओं का नाश करने वाली माना जाता है। ऐसे में इस माह में शीतला माता की पूजा और नीम के पत्तों का सेवन लाभकारी माना जाता है।
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