Chaitra Navratri 2022: चैत्र मास शुरू हो चुका है और भारतीय नववर्ष भी इसी महीने यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रहा है। सबसे धार्मिक त्योहार चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) भी इसी महीने में आती है। पूरे भारतवर्ष में नवरात्रि का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार मां आदिशक्ति की पूजा का यह पावन पर्व 2 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल तक चलेगा। मान्यता है कि नवरात्रि में सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा विशेष फलदायी होती है। इन दिनों मां भगवती की प्रसन्नता के लिए किए जाने वाले सभी अनुष्ठानों में दुर्गा सप्तशती के पाठ का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि अगर नवरात्रि में नौ दिनों तक पूरे विधि-विधान से दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाए तो मां जगदम्बे शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
दुर्गा सप्तशती है बेहद खास
दुर्गा सप्तशती में 360 शक्तियों का वर्णन किया गया है। इसके साथ ही महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की महिमा का वर्णन है। मां दुर्गा की आराधना के लिए किए जाने वाले दुर्गा सप्तशती के 13 पाठों का अपना विशेष महत्व है। विभिन्न बाधाओं को दूर करने के लिए इनका पाठ किया जाता है। आइए जानते हैं दुर्गा सप्तशती का कौन सा पाठ करने से क्या फल मिलता है।
प्रथम अध्याय- दुर्गा सप्तशती का प्रथम पाठ करने से व्यक्ति की सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं।
दूसरा अध्याय – दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय का पाठ करने से सभी प्रकार के शत्रु विघ्न दूर होते हैं। साथ ही कोर्ट-कचहरी आदि से जुड़े मुकदमों में भी विजय प्राप्त होती है।
तीसरा अध्याय- दुर्गा सप्तशती के तीसरे अध्याय का पाठ करने से जातक के जीवन से शत्रुओं का नाश होता है।
चौथा अध्याय- चौथे अध्याय का पाठ करने से मां शेरावाली के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।
पंचम अध्याय – पंचम अध्याय का पाठ करने से भक्ति, शक्ति और देवी के दर्शन की कृपा प्राप्त होती है।
छठा अध्याय- वहीं दुर्गा सप्तशती के छठे अध्याय का पाठ करने से जीवन से दुख, दरिद्रता, भय आदि दूर होते हैं।
सप्तम अध्याय – सप्तम अध्याय का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आठवां अध्याय- आठवां अध्याय वशीकरण और मित्रता के लिए किया जाता है।
नौवां अध्याय- नौवें अध्याय का पाठ संतान की प्राप्ति और उन्नति के लिए किया जाता है।
दसवां अध्याय- दसवें अध्याय का पाठ करने से नवें अध्याय के समान फल मिलता है।
एकादश अध्याय- सभी प्रकार की भौतिक सुविधाओं की प्राप्ति के लिए ग्यारहवें अध्याय का पाठ किया जाता है।
द्वादश अध्याय – दुर्गा सप्तशती के बारहवें अध्याय का पाठ मान सम्मान और लाभ लाने वाला माना जाता है।
त्रयोदश अध्याय- इसके अलावा दुर्गा सप्तशती के तेरहवें अध्याय का पाठ विशेष रूप से मोक्ष और भक्ति के लिए किया जाता है।
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