Chaitra Navratri 2022: इस साल चैत्र नवरात्र 02 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। जो 11 अप्रैल तक चलेंगे। इस दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी। इन नौ दिनों में मां जगदम्बा की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। वहीं इस बार चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) में कई बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इस साल की चैत्र नवरात्रि में एक भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है। खास बात यह है कि इन 9 दिनों में कई ऐसे योग बन रहे हैं, जो सभी फलदायी हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसे योग दुर्लभ हैं। लेकिन इस बार मां दुर्गा की सवारी अनहोनी की ओर इशारा कर रही है। क्योंकि इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। घोड़े पर सवार होकर माता रानी का धरती पर आना शुभ नहीं माना जाता है। इससे कई गंभीर परिणाम सामने आते हैं। आइए जानते हैं कि माता रानी का घोड़े पर सवार होना किन परिणामों की ओर इशारा करता है…
वैसे तो माता रानी सिंह की सवारी करती हैं, लेकिन नवरात्रि में धरती पर आने पर उनकी सवारी बदल जाती है। मां जगदम्बा की सवारी उस दिन पर निर्भर करती है जिस दिन नवरात्रि शुरू होती है। उनकी सवारी उस दिन के आधार पर तय की जाती है जिस दिन नवरात्रि शुरू होती है। इसी तरह, प्रस्थान की सवारी उस दिन के आधार पर तय की जाती है जिस दिन वह प्रस्थान करती है।
मां दुर्गा के आगमन की सवारी व महत्व
इस साल चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) शनिवार, 02 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। दिन के आधार पर इस साल मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर आएंगी। घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना जाता है। इस नवरात्रि (Navratri) मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं और भैंस पर सवार होकर प्रस्थान करेगी। इन दोनों वाहनों को अच्छा नहीं माना जाता है।
घोड़े की सवारी का मतलब है कि इस साल सत्ता पक्ष को विरोध का सामना करना पड़ सकता है। वहीं कुछ जगहों पर सत्ता परिवर्तन भी देखा जा सकता है। इसके अलावा मां के ये वाहन देश में विवाद, तनाव, दुर्घटना और प्राकृतिक आपदा की ओर इशारा कर रहे हैं। दूसरी ओर भैंस की सवारी करने का अर्थ है रोगों, दोषों और कष्टों का बढ़ना।
मां दुर्गा के वाहन कौन – कौन से हैं?
अलग-अलग वार के अनुसार नवरात्रि में मां जगदम्बा के वाहन डोली, नाव, घोड़ा, भैंस, मनुष्य और हाथी हैं।
अलग-अलग वार के अनुसार माता की सवारी और उसका महत्व
यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू हो रहे हैं, तो माता का वाहन हाथी है जो अधिक वर्षा का संकेत देता है। इसी प्रकार यदि मंगलवार और शनिवार को नवरात्रि प्रारंभ हो तो माता का वाहन घोडा है जो सत्ता परिवर्तन का संकेत देता है। इसके अलावा गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होने पर मां दुर्गा डोली में विराजमान होकर आती हैं, जो रक्तपात, तांडव, जनता और धन की हानि का संकेत देती है। वहीं बुधवार से नवरात्र शुरू हो जाते हैं तो माता नाव में सवार होकर अपने भक्तों के सारे कष्ट हर लेती हैं।
प्रस्थान की सवारी और उनके संकेत
रविवार और सोमवार को नवरात्रि समाप्त हो रही है तो मां दुर्गा भैंस की सवारी पर जाती हैं। यह इस बात का संकेत है कि देश में दुख और बीमारी में वृद्धि होगी। वहीं शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि समाप्त होने पर मां जगदम्बे मुर्गे पर सवार हो जाती हैं। यह दुख और पीड़ा में वृद्धि का संकेत देता है। जब बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि समाप्त होती है, तो माता हाथी पर सवार होकर लौटती है जो अधिक बारिश का संकेत देती है। इसके अलावा यदि गुरुवार को नवरात्रि समाप्त हो रही है तो मां दुर्गा मानव पर सवार होती हैं जो सुख और शांति की वृद्धि का संकेत देती है।
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