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चाणक्य नीति: जानिए सबसे अच्छा मित्र, सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा धन

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Chanakya Niti In Hindi: आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र के ज्ञाता थे। अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ और राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति जैसे महान ग्रंथ इनके द्वारा लिखे गए थे। यह कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी प्रसिद है।

आचार्य चाणक्य की गिनती आज भी भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। नंदवंश का इन्होने अपनी नीतियों और कुशाग्र बुद्धि के प्रयोग से नाश किया। साथ ही चंद्रगुप्त मौर्य जिसे एक साधारण बालक से राजा बनाया।

Chanakya Niti In Hindi: तक्षशिला विश्वविद्यालय से इन्होने शिक्षा ग्रहण की। साथ ही यही पर विद्यार्थियों को शिक्षा भी दी। मनुष्य के जीवन को चाणक्य द्वारा लिखी गयी बातें बहुत ही करीब से स्पर्श करती हैं। और यही वजह है की आज के समय में भी नीति शास्त्र की नीतियां लोगो के बीच बहुत लोकप्रिय है। रिश्तों, धन, व्यापार आदि को लेकर भी चाणक्य ने महत्वपूर्ण बातो का जिक्र किया है। तो चलिए जानते है की आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र, सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा धन।

सबसे अच्छा मित्र

आचार्य चाणक्य के अनुसार वही सबसे अच्छा मित्र है। जो आपका विकट परिस्थितियों में साथ व आपको अचानक विपत्ति आने पर अकेला न छोड़े। एक अच्छे मित्र की पहचान बुरे समय में ही होती है। सही मायने में आपका सच्चा मित्र वही है। जो सही और गलत की पहचान करवाता है।

सबसे बड़ा धन

आचार्य चाणक्य के अनुसार धन व्यक्ति को विपत्ति के समय में निकलने में सहायता करता है। पर धन न होने पर व्यक्ति के काम ज्ञान ही आता है। धन भी कभी-कभी किसी काम का नहीं रह जाता है। तब व्यक्ति केवल अपने ज्ञान से ही उस परिस्थिति में विजय प्राप्त कर सकता है। इसलिए हमेशा ज्ञान रुपी धन को प्राप्त करते रहना चाहिए।

सबसे बड़ा शत्रु

आचार्य चाणक्य के अनुसार भूख मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। जब मनुष्य का पेट खाली होता है। तो व्यक्ति उस परिस्थिति में कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। इसलिए भूख को चाणक्य ने व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु बताया है।

यह भी पढ़ें- चाणक्य नीति: माता-पिता, पति-पत्नी और संतान इन परिस्थितियों में बन जाते हैं शत्रु

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