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चाणक्य नीति- दुनिया में इन चार चीजों से बढ़कर कुछ नहीं

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Chanakya Niti in Hindi- एक महान विद्वान थे, आचार्य चाणक्य । अगर व्यक्ति चाणक्य की इन नीतियों का अपने जीवन में पालन करे तो। उस व्यक्ति को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। चाणक्य नीति में न सिर्फ व्यक्ति अपितु समाज कल्याण की बाते है। आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक में चार चीजों को सर्वश्रेष्ट माना है।

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Chanakya Niti in Hindi

नात्रोदक समं दानं न तिथि द्वादशी समा।
न गायत्र्या: परो मंत्रो न मातुदेवतं परम्।।

अन्न

अपने इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं की अन्न जल से बड़ा और कोई दूसरा दान नहीं। आचार्य चाणक्य के मुताबिक जो इंसान भूखे को खाना, प्यासे को पानी पिलाता है। वह पुण्य आत्मा है। ऐसे इंसान या मनुष्य पर भगवान की कृपा सदैव बनी रहती है। अन्न का भोग लगाकर देवतागण भी प्रसन्न हो जाते है। इसी वजह से लोगो को समय-समय पर अन्न का दान अवश्य करते रहना चाहिए।

द्वादशी तिथि

इसी श्लोक में आचार्य चाणक्य ने द्वादशी तिथि को परम का है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन ही किया जाता है। आचार्य चाणक्य के मुताबिक द्वादशी
के समान और कोई दूसरी तिथि नहीं। एकादशी व्रत का इस दिन पारण करने से विष्णु भगवान का आर्शीवाद मिलता है। और वैकुंठ लोक प्राप्त होता है।

गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र को आचार्य चाणक्य ने सर्वश्रेष्ट मंत्र बताया है। गायत्री मंत्र के समान और कोई दूसरा मंत्र नहीं। धार्मिक मान्यता है कि चारों वेदों की जननी मां गायत्री है। ऋग्वेद, यजुर्वेद अथर्वेद और सामवेद इन चारो वेदो की उत्पति मां गायत्री से हुई है।

माता

माता को दुनिया को चौथी सबसे कीमती आचार्य चाणक्य ने माना है। उनके अनुसार मां के समान और कोई दूसरा नहीं। माता को स्वर्ग से भी महान स्वयं भगवान राम ने बताया था। एक बालक का परम धर्म मां की सेवा करना होना चाहिए। भूल से भी मां का अनादर न करे।

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