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चाणक्य नीति: इन लोगो का साथ मतलब जान को खतरा, बनाए रखे इनसे दुरी

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चाणक्य नीति: इन लोगो का साथ मतलब जान को खतरा, बनाए रखे इनसे दुरी

Chanakya Niti In Hindi: चाणक्य नीति की बाते जीवन के पहलुओं को बहुत ही करीब से स्पर्श करती हैं। नीतिशास्त्र में आचार्य चाणक्य ने जीवन से जुड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण बातों का जिक्र किया है। इन बातों को अगर सही से समझा जाए व इनका अपने जीवन में अनुसरण किया जाए। तो जीवन को सरल, सुखमय व सफल बनाया जा सकता है। तो आइये जानते है इस बारे में क्या कहती है चाणक्य नीति —

चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने तीन ऐसे लोगों के बारे में जिक्र है। जिनके साथ रहना नर्क की तरह है। अगर इंसान ऐसे लोगों के साथ रहता है। तो उसका एक न एक दिन उसका अहित जरूर होता है। तो आइये जानते हैं कि कौन हैं वे लोग।

दुष्ट पत्नी

चाणक्य नीति के अनुसार दुष्ट व कठोर वचन बोलने वाली स्त्री की वजह से घर नर्क की तरह हो जाता है। गलत आचरण वाली स्त्री के संग रहने से एक न एक दिन इंसान का अहित जरूर होता है। इसलिए आचार्य कहते हैं कि दुराचारिणी स्त्री के साथ रहने पर उस व्यक्ति के प्राणों पर भी संकट मंडरा सकता है।

धूर्त दोस्त

चाणक्य नीति के अनुसार धूर्त दोस्त के साथ रहना सांप के साथ रहने की तरह हैं। क्योंकि व्यक्ति धूर्त मित्र के होने पर संदेह की स्थिति से घिरा रहता है। और वह किसी से अपनी मनोस्थिति नहीं कह पाता है। और न ही कोई फैसला ले पाता है। दोस्त ही ऐसा व्यक्ति होता है। जिसे उस व्यक्ति के बारे में उसके भेद भी पता होते है। इसलिए दोस्त के धूर्त होने पर इंसान का अहित हो सकता है।

तपाक से हर बात पर जबाव देना वाला सेवक

चाणक्य नीति के अनुसार प्रत्येक बात पर तपाक से जबाव देने वाले सेवक की वजह से किसी न किसी दिन मालिक संकट में जरूर फंसता है। इसलिए ऐसे सेवक के साथ रहने पर जीवन को कोई-न-कोई क्षति पहुंच सकती है।

जिस घर में सर्प रहता हो 

आचार्य चाणक्य ने दुष्ट पत्नी, धूर्त दोस्त, मुंहफट सेवक के अलावा कहा है कि सर्प जिस घर में रहता है। वंहा रहना मृत्यु के निकट रहने की तरह है। इसलिए इस तरह के व्यक्तियों व ऐसी जगह से हमेशा बचकर रहना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के बारे में –

आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। यह कौटिल्य या विष्णुगुप्त मौर्य नाम से भी विख्यात हैं। आचार्य चाणक्य आचार्य श्री चणक के शिष्य होने के कारण चाणक्य कहलाए। इन्हे चाणक्य नाम इनके गुरु आचार्य श्री चणक से ही प्राप्त हुआ था।

आचार्य चाणक्य कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति व अपने महाज्ञान के सदुपयोग एवं जनकल्याण व अखंड भारत के निर्माण में सहयोग के कारण कौटिल्य’ ‘कहलाये। वास्तव में आचार्य चाणक्य एक सच्चे ब्राह्मण थे।

आचार्य चाणक्य का जन्म ईसा पूर्व 371 में हुआ था। जबकि ईसा.पूर्व. 283 में मृत्यु हुई थी। आचार्य चाणक्य का उल्लेख वायुपुराण, मत्स्यपुराण, विष्णुपुराण, मुद्राराक्षस, बृहत्कथाकोश, जैन पुराण, बौद्ध ग्रंथ महावंश आदि में मिलता है।

बृहत्कथाकोश के मुताबिक चाणक्य की पत्नी का नाम यशोमती था। वही मुद्राराक्षस के मुताबिक चाणक्य का असली नाम विष्णुगुप्त था।

आचार्य चाणक्य का नाम भारत के राजनीतिक इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। आचार्य चाणक्य न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ बल्कि शिक्षक, धर्माचार्य, लेखक और अर्थशास्त्री भी थे। कहते हैं कि चाणक्य ने ही वात्स्यायन नाम से कामसुत्र लिखी थी। चाणक्य के पिता ने ही उनका नाम कौटिल्य रखा था।

मगध के राजा द्वारा चाणक्य के पिता को राजद्रोह के अपराध में हत्या कर देने के बाद राज सैनिकों से बचने के लिए आचार्य ने अपना नाम बदलकर विष्णुगुप्त रख लिया था। तक्षशिला विद्यालय में विष्णुगु्प्त नाम से ही उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की।

‘कौटिल्य’ नाम से भी विख्यात आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र नामक महान ग्रंथ की रचना की। इनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र’ एवं ‘नीतिशास्त्र’ नामक ग्रंथों की गणना विश्व की महान कृतियों में की जाती है।

आचार्य चाणक्य कुशाग्र बुद्धि सहित आसाधारण प्रतिभा के धनी थे। आचार्य को विभिन्न विषयों का गहन ज्ञान था। इसी कारण आचार्य कौटिल्य के नाम से भी विख्यात थे। आचार्य श्रेष्ठ विद्वान, दूर्दर्शी होने के साथ-साथ एक योग्य शिक्षक भी थे।

इन्होने विश्वप्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की। और यही पर आचार्य के पद पर रहकर विद्यार्थियों को शिक्षा भी दी। आचार्य अपने जीवन में ज्ञान का महत्व बहुत अच्छी तरह से समझते थे । यह एक महान अर्थशास्त्री थे।

आचार्य ने अपने जीवन में अच्छी और बुरी दोनों तरह की परिस्थितियों का सामना किया है। आज भी आचार्य चाणक्य द्वारा सैंकड़ों वर्षों पहले लिखे गए नीति शास्त्र की बातें और वचन उतना ही औचित्य रखते हैं। जितना उस समय रखते थे। यही वजह है की इतने वर्ष बीत जाने के पश्चात भी आज के समय में भी चाणक्य नीति के बाते लोगो के बीच बहुत लोकप्रिय है। आचार्य की नीतियां आज भी लोगों को सही राह दिखाती हैं।

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों और बुद्धि का प्रयोग करके ही अपने शत्रु घनानंद का नाश किया। और एक साधारण बालक को मौर्य साम्राज्य का सम्राट बनाया। चंद्रगुप्त को मौर्य साम्राज्य का सम्राट बनाया। इन्होने इतिहास की धारा को ही बदल कर रख दिया।

आचार्य ने निस्वार्थ भाव से अपने गहन अध्ययन, ज्ञान व जीवन से प्राप्त अनुभवों को ग्रंथों में पिरोया है। आचार्य द्वारा लिखी गई चाणक्य नीति मनुष्य को जीवन में आगे बढ़ने और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती हैं। मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं धन, रिश्ते, शत्रु, कार्यक्षेत्र और सामाजिक जीवन पर नीति शास्त्र की बातें प्रकाश डालती हैं।

आचार्य को न केवल किताबी विषयों का बल्कि जीवन की अच्छी और बुरी दोनों तरह की परिस्थितियों का अनुभव था। इन्होने अपने जीवन में हर तरह की परिस्थितियों का सामना किया है। लेकिन इन परिस्थितियों में इन्होने कभी भी हार नहीं मानी और न ही अपना धैर्य खोया। सदैव अपना धैर्य बनाए रखा। इसके द्वारा लिखित नीति शास्त्र की बातें आज भी बहुत लोकप्रिय हैं।

आचार्य के जीवन का एक बड़ा हिस्सा अध्ययन में व्यतीत हुआ। आचार्य को व्यवहारिक जीवन की भी बहुत अच्छी समझ थी। आज भी आचार्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है।

अगर व्यक्ति चाणक्य नीति की बाते अपने जीवन में उतार ले तो वह कभी भी असफल नहीं हो सकता है। उस व्यक्ति को हर क्षेत्र में कामयाबी मिलेगी।

चाणक्य नीति की बाते जीवन के पहलुओं को बहुत ही करीब से स्पर्श करती हैं। नीतिशास्त्र में आचार्य चाणक्य ने जीवन से जुड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण बातों का जिक्र किया है। इन बातों को अगर सही से समझा जाए व इनका अपने जीवन में अनुसरण किया जाए। तो जीवन को सरल, सुखमय व सफल बनाया जा सकता है।

नीति शास्त्र में कई बातो का जिक्र किया गया है। इन बातो को ध्यान में रखकर आप विपरीत परिस्थितियों को भी आसानी से पार कर लेते हैं। साथ ही कई समस्याओं से भी बचा जा सकता है।

गुप्त साम्राज्य के आचार्य चाणक्य संस्थापक और चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। आचार्य चाणक्य ने कई महत्वपूर्ण ग्रंथ मनुष्य के जीवन को सुखमय बनाने के लिए लिखें हैं। नीतिशास्त्र के कुछ सुझाव लोगों को बहुत ही कठिन लगते हैं। इनसे कुछ लोग सहमत नहीं होते है।

यह भी पढ़ें – चाणक्य नीति: इन परिस्थितियों में बचकर भाग निकले, नहीं तो प्राणों पर मंडरा सकता है संकट

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