चाणक्य नीति 2021: अपने शत्रुओं अगर परास्त करना चाहते हैं। तो आपको आचार्य चाणक्य के नीति के कुछ विशेष सूत्रों को याद रखना चाहिए। आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक में शत्रु नीति के बारे में बताया है। चाणक्य श्लोक में शत्रुओं को परास्त करने विधि बताते हैं।
श्लोक
अनुलोमेन बलिनं प्रतिलोमेन दुर्जनम्।
आत्मतुल्यबलं शत्रु: विनयेन बलेन वा।।
यदि आपसे शत्रु अधिक बलशाली है। तो उसे परास्त उसके अनुकूल आचरण कर किया जा सकता है। यदि दुष्ट स्वभाव का शत्रु है। तो उसे विपरीत चलकर हरा सकते है। और यदि आपके समान बलवान वाला शत्रु है। तो बलपूर्वक या विनय (अनुरोध) द्वारा हराया जा सकता है।
आचार्य चाणक्य के चाणक्य नीति के अनुसार शत्रु जब आपसे अधिक शक्तिशाली हो। तो आपको उस वक्त छिप जाना चाहिए। और सही समय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। स्वयं को उसके बाद शक्ति को बढ़ाने के विषय में कार्य करना चाहिए। शत्रु पर वार शुभचिंतकों को एकत्रित करने के बाद करना चाहिए। जिससे अपने शत्रु को आप आसानी से पराजित कर पाएंगे। चाणक्य नीति के अनुसार जब शत्रु शक्तिशाली हो तो यह शांति के साथ काम लेने का वक्त होता है।
शत्रु हर सफल व्यक्ति के होते हैं। कुछ शत्रुओं के बारे में तो हमे पता भी नहीं होता। और कुछ अज्ञात शत्रु। यह शत्रु आपको सीधे नुकसान नहीं पहुंचाते है। बल्कि छिपकर वार करते हैं। और ऐसे शत्रु बहुत अधिक घातक होते हैं। ऐसे शत्रुओं का पता लगाने के लिए बहुत सतर्कता की जरूरत होती है। जब अचानक वार हो तब
घबराने की बजाय शत्रु की हर चाल का डटकर सामान करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य के अनुसार शत्रु की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखना चाहिए। शत्रु को पराजित उसकी कमजोरियों का पता लगाकर किया जा सकता है। इसलिए शत्रु की प्रत्येक गतिविधियों पर नजर व सही समय आने पर
पराजित करें। शत्रु की कमजोरी पहचाने, कमजोर कड़ी का उपयोग कर शत्रु को पराजित करना चाहिए।
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