Chankya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार दान करने से आत्मा शुद्ध होती है। और मन शांत होता है। दान पुण्य का कार्य है। लेकिन दान कब और कैसे करना चाहिए? जानते है –
Chankya Niti: चाणक्य ने दान के महत्व के बारे में भी बताया है। चाणक्य की गिनती भारत के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। चाणक्य नीति के अनुसार दान करने से व्यक्ति महान और श्रेष्ठ बनता है। दान करने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है। ऐसे लोगों पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है।
चाणक्य के अनुसार हमेशा पात्र व्यक्ति को ही दान देना चाहिए। तभी वह दान अच्छा और सार्थक माना जाएगा। इसलिए दान करने वाले व्यक्ति को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। चाणक्य ने दान से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताई हैं। जो हर व्यक्ति को जाननी चाहिए।
दान का क्या अर्थ है?
चाणक्य नीति कहती है कि दान का अर्थ है देने का क्रिया। पात्र व्यक्ति को दान की माध्यम से मदद करना। किसी सक्षम व्यक्ति को दान करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह जो दान दे रहा है। क्या वह पात्र व्यक्ति के हाथ में जा रहा है। जब पात्र व्यक्ति द्वारा दान प्राप्त किया जाता है। तो इसका पुण्य कई गुना प्राप्त होता है।
किसे दान करना चाहिए?
चाणक्य नीति का कहना है कि दान के महत्व को समझने वाले व्यक्ति को हमेशा दान देना चाहिए। जो व्यक्ति दान के महत्व को नहीं जानता उसे दान देने से बचना चाहिए। जैसे भूखे व्यक्ति के लिए अन्न का दान महत्वपूर्ण है। जिस व्यक्ति का पेट भरा होता है। उसके लिए भोजन का कोई महत्व नहीं होता। इसलिए दान करने के लिए हमेशा सही व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए।
सबसे अच्छा दान क्या है?
चाणक्य नीति के अनुसार शास्त्रों में विद्या दान, भूदान, अन्न दान, कन्या दान और गाय दान को श्रेष्ठ दान की श्रेणी में रखा गया है। चाणक्य के अनुसार विद्या दान एक ऐसा दान है। जो कभी नष्ट नहीं होता। यह लगातार बढ़ता रहता है। ज्ञान सभी प्रकार के अंधकार को दूर करने में सक्षम है। ज्ञान जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी है। दुखों को दूर करने में भी है ज्ञान सहायक है।
यह भी पढ़ें – चाणक्य नीति: ऐसे लोगों का कभी न करें भला अन्यथा नष्ट हो जाएगा आपका जीवन
यह भी पढ़ें – चाणक्य नीति: इंसान अपनी इन 5 आदतों के कारण हो सकता है कंगाल, जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति