Garud Puran: गरुड़ पुराण में जीवन की सभी नीतियों और नियमों के अलावा मृत्यु के बाद की स्थितियों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें यमलोक का भी चित्रण किया गया है। और हर द्वार को विभिन्न प्रकार की आत्माओं (souls) का प्रवेश द्वार बताया गया है।
पृथ्वी पर जन्म लेने वाला प्रत्येक प्राणी नश्वर है। जो यहां आया है उसे एक दिन इस धरती को छोड़कर जाना है। मृत्यु के बाद व्यक्ति के कर्मों का हिसाब यमलोक में होता है। यमराज प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार स्वर्ग, नरक या पितृलोक में भेजते हैं। गरुड़ पुराण (Garud Puran) में जीवन की सभी नीतियों और नियमों के अलावा मृत्यु के पश्चात की इन स्थितियों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
यमलोक के मार्ग का भी इस महापुराण में उल्लेख है और बताया गया है कि कैसे पापियों को उस भयानक रास्ते को पार करके यमलोक तक पहुंचना होता है। कैसे यमराज के दूत किसी व्यक्ति के प्राण निकाल कर अपने साथ यमलोक पहुंचते हैं। गरुड़ पुराण (Garud Puran) में यमलोक के बारे में बताया गया है कि यह एक लाख योजन क्षेत्र में फैला हुआ है। और इसके चार मुख्य द्वार हैं। जानिए कौन सा द्वार कैसा है और किस द्वार से पापी प्रवेश करते हैं।
पूर्वी द्वार
यमलोक का पूर्वी द्वार अत्यंत आकर्षक है। यह हीरे, मोती, नीलम और पुखराज जैसे रत्नों से जड़ा हुआ है। योगी, ऋषि, सिद्ध और ज्ञानी लोग इस द्वार से प्रवेश करते हैं। इसे स्वर्ग का द्वार कहा जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, इस द्वार में प्रवेश करने पर गंधर्व, देव, अप्सराओं द्वारा आत्मा का स्वागत किया जाता है।
पश्चिम द्वार
पश्चिम द्वार को भी रत्नों से सजाया जाता है। जिन लोगों ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं। वे इस द्वार से प्रवेश करते हैं। दान किया है। और हमेशा धर्म का पालन किया है। जिन लोगों ने किस तीर्थस्थान पर अपने प्राण त्यागे हैं। वे भी इस द्वार से प्रवेश करते हैं।
उत्तर द्वार
जीवन में हमेशा माता-पिता की सेवा करने वाले, सत्य बोलने वाले और अहिंसक कर्म करने वाले व्यक्ति की आत्मा हमेशा उत्तर द्वार से प्रवेश करती है। इस दरवाजे को विभिन्न प्रकार के स्वर्ण जड़ित रत्नों से सजाया गया है।
दक्षिण द्वार
सबसे भयानक है दक्षिण द्वार। यह द्वार घोर पापियों के लिए है। इस द्वार पर घोर अँधेरा है और वहाँ भयानक जीव और राक्षस जैसे साँप, शेर और भेड़िये आदि रहते हैं। इसे नर्क का द्वार कहा जाता है। आत्मा का इस द्वार से गुजरना अत्यंत कठिन और कष्टदायक है। जो लोग यम-नियम का पालन नहीं करते हैं। वे इस द्वार पर 100 वर्षों तक कष्ट भोगते हैं।
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