Garuda Purana: अठारह पुराणों में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व है। गरुड़ पुराण में अनेक प्रकार के नरकों का उल्लेख मिलता है। इसके तहत बताया गया है कि किस पाप की सजा क्या है।
Garuda Purana: गरुड़ पुराण वैष्णव संप्रदाय से संबंधित एक महान पुराण है। सनातन धर्म में इसे मृत्यु के बाद मोक्ष देने वाला माना गया है। इसीलिए सनातन हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण को सुनने का प्रावधान है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देवता भगवान विष्णु हैं। इसमें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निःस्वार्थ कर्म की महिमा के साथ यज्ञ, दान, तप, तीर्थ आदि शुभ कार्यों में आम आदमी को प्रेरित करने के लिए कई लौकिक और पारलौकिक फलों का वर्णन किया गया है। अठारह पुराणों में गरुड़ महापुराण का अपना एक विशेष महत्व है। गरुड़ पुराण में अनेक प्रकार के नरकों का उल्लेख मिलता है। इसके तहत बताया गया है कि किस पाप की सजा क्या है। आइए जानते हैं गरुड़ पुराण में वर्णित नरकों के बारे में।
महारौरव
जो लोग जानबूझकर घर, खेत, खलिहान या दूसरों के गोदाम आदि में आग लगाते हैं। उन्हें ऐसी जगह पर रखा जाता है। जहां चारों तरफ आग हो। इस स्थान को ‘महारौव’ कहा जाता है।
महावीचि
गायों को मारने वालों को ऐसी जगह पर रखा जाता है। जहां नुकीले लोहे के कांटे हों और खून ही खून बिखरा होता है। इस स्थान को ‘महावीचि’ कहा जाता है।
कुंभीपाक
ब्राह्मण की हत्या करने वाले व जो दूसरों की भूमि हड़प लेते हैं। उन्हें गर्म रेत और अंगारों से भरी भूमि पर नरक में रखा जाता है। इसे ‘कुंभीपाक’ कहते हैं।
मंजूष
बेगुनाहों को फंसाने और कैद करने वालों को जलती हुई लोहे की धधकती जमीन पर सजा दी जाती है। इस स्थान को ‘मंजूष’ कहा जाता है।
महाप्रभ
जो पति-पत्नी को विभाजित करते हैं। उन्हें ‘महाप्रभ’ महाप्रभनरक में स्थान मिलता है। कहा जाता है कि वहां बड़े नुकीले तीर होते हैं।
विलेपक
शराब का सेवन करने वाले ब्राह्मणों को उस स्थान पर जलाया जाता है। जहां लाखों शोले जलते रहते हैं। इस जगह को ‘विलेपक’ कहा जाता है।
जयंती
पराई स्त्री के साथ संबंध रखने वालों को जयंती नामक नरक में रखा जाता है। इस स्थान पर लोहे की एक बड़ी चट्टान के नीचे दबा कर दण्ड दिया जाता है।
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