Gupt Navratri 2022: हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल चार नवरात्रि मनाई जाती है। पहली माघ महीने और तीसरी आषाढ़ महीने में मनाई जाने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। जबकि चैत्र के महीने में मनाई जाने वाली चैत्र नवरात्रि और अश्विन के महीने में चौथी और आखिरी को अश्विन नवरात्रि या शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इस वर्ष माघ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) 2 फरवरी से शुरू होकर 10 फरवरी को समाप्त होगी। गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की देवी की पूजा की जाती है। इन दोनों नवरात्रि में तंत्र-मंत्र और टोना-टोटका सीखने वाले साधक कठोर भक्ति करके माता को प्रसन्न करते हैं। तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्रि में ग्रहों के विशेष योग बन रहे हैं.जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं क्या है वो खास योग-
19 वर्ष बाद राहु मित्र राशि में स्थित
गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से शुरू हो रही है। इस बार 19 वर्ष बाद गुप्त नवरात्रि में राहु मित्र राशि वृषभ में स्थित है। इससे पूर्व 19 वर्ष पूर्व 2 फरवरी 2003 को गुप्त नवरात्र के प्रारंभ में राहु वृष राशि में स्थित था। वर्तमान में सूर्य और शनि भी एक साथ मकर राशि में स्थित हैं। मकर के स्वामीग्रह भी शनि है तो तंत्र साधकों के अनुसार सूर्य और शनि के एक ही राशि में होने पर तंत्र क्रिया आसानी से हो जाती है। गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना करने वालों को विशेष फल की प्राप्ति होगी।
गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। तंत्र-मंत्र सिद्ध करने वाली इसे नवरात्रि माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस नवरात्र में की जाने वाली विशेष पूजा कई तरह के कष्टों को दूर करती है। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक महाविद्या सिद्ध करने के लिए भी मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में साधना के लाभ
गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा करने से कोर्ट में विजय, संतान सुख, मारण, उच्च पद, मोहन, आकर्षण आदि अनेक लाभ मिलते हैं। राजनीतिक सफलता के लिए पद की प्राप्ति के लिए और कई साधक आत्म-सुख की प्राप्ति के लिए उनकी पूजा करते हैं। इस बार गुप्त नवरात्रि इसलिए भी खास है क्योंकि इस दौरान 5 फरवरी को मां सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी भी मनाई जाएगी।
गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा
जो लोग गुप्त नवरात्रि में पूजा और उपवास करते हैं। वे अपनी पूजा गुप्त रखते हैं। इसके पीछे मान्यता यह है कि पूजा को गुप्त रखने से इसके लाभ और प्रभाव में वृद्धि होती है। इस नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। इसमें माता कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता चित्रमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी, मातंगी, कमला देवी की पूजा करने का विधान है।
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