Hanuman Jayanti 2022: हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन राम भक्त हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है। संकटमोचन हनुमान जी के भक्तों में हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) के अवसर पर काफी उत्साह होता है और इस दिन को पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। रुद्रावतार हनुमान जी का जन्म राम अवतार के समय श्री विष्णु की सहायता के लिए हुआ था। पवनपुत्र हनुमानजी ने रावण को मारने, सीता को खोजने और लंका जीतने में श्री राम की मदद की थी। हनुमान जी की पूजा करने से दुखों का नाश होता है और हनुमान जी अपने भक्तों की हर समय रक्षा करते हैं। हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। संकटमोचन हनुमान जी की पूजा कभी भी करनी चाहिए लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। यदि आप पूजा के दौरान कुछ बातों का ध्यान नहीं रखेंगे तो पूजा सफल नहीं होगी। आइए जानते हैं बजरंगबली की पूजा के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बिना स्नान के पूजा न करें
सनातन धर्म में देवताओं की पूजा पूर्णतः शुद्ध और स्वच्छ होकर करने का विधान है। इसलिए शास्त्रों के अनुसार जब भी हनुमान जी की पूजा करें तो स्नान आदि से निवृत्त होकर करें। नहीं तो हनुमान जी की पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं होगा।
जूठे मुंह नहीं करें पूजा
किसी भी पूजा से पहले हाथ-पैर साफ कर लेना चाहिए और कुछ भी नहीं खाना चाहिए। हनुमान जी की पूजा के समय मुंह को साफ और कुल्ला करके पूजा शुरू करें। जूठे मुख से पूजा करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है।
पूजा के समय गंदे कपड़े न पहनें
हनुमान जी की पूजा करते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार गंदे कपड़े पहनकर हनुमान जी की पूजा करना अशुभ फल देता है। इसलिए जब भी हनुमान जी की पूजा करें तो स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
दोपहर में न करें पूजा
हनुमान जी की पूजा के लिए सुबह और शाम का समय सबसे अच्छा है। शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी की पूजा करने का सबसे शुभ समय शाम के 7 बजे का होता है। इसलिए कभी भी गलती से भी दोपहर के समय हनुमान जी की पूजा न करें।
ग्रहण के समय न करें पूजा
शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ग्रहण के दौरान पूजा करना वर्जित है और इस दौरान भगवान की मूर्तियों को ढक कर रखना चाहिए। इसलिए ग्रहण के समय हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए।
सोहर के दौरान न करें पूजा
जब परिवार में बच्चे का जन्म होता है तो 10 दिनों तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इन दस दिनों को सोहर कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार बच्चे के जन्म के 10 दिन बाद तक हनुमान जी समेत किसी भी देवी-देवता की पूजा नहीं की जाती है।
यह भी पढ़ें – कामदा एकादशी 2022: कब है कामदा एकादशी का व्रत? जानिए तिथि, मुहूर्त, पारण का समय और महत्व