Jagannath Ji Ki Aarti: जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हो गई है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह यात्रा प्रतिवर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। यह दिन हिंदुओं के लिए बहुत पवित्र है। मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर विश्राम करने जाते हैं। पुरी रथ यात्रा में, भगवान विष्णु के लाखों भक्त पूरी भक्ति के साथ रथ खींचते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं। मान्यताओं के अनुसार जो कोई भी सच्चे मन से भगवान जगन्नाथ जी की पूजा करता है, उसकी मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। अगर आप भी भगवान जगन्नाथ जी की विशेष कृपा पाने के लिए उनकी पूजा करना चाहते हैं तो इस आरती को जरूर पढ़ें। आइए जानते हैं रथ यात्रा के महत्व का इतिहास और यहां पढ़ें भगवान जगन्नाथ की पूरी आरती।
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जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों होती है?
हर साल आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ (भगवान श्रीकृष्ण) अपनी मौसी के घर जाते हैं। इस दौरान उनके साथ बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा भी जाती हैं। इन्हें तीन अलग-अलग रथों पर सवार होकर किया जाता है। इसके बाद तीनों को रथ यात्रा के जरिए गुंडिचा मंदिर में उनकी मौसी के घर ले जाया जाता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
हिंदू धर्म में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा में भाग लेने के लिए देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार जगन्नाथपुरी रथ यात्रा में भाग लेने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। हिंदू धर्म में जगन्नाथ पुरी धाम को मुक्ति का द्वार कहा गया है। कहा जाता है कि जो भक्त इस रथ यात्रा में भाग लेकर भगवान के रथ को खींचते हैं, उन्हें 100 यज्ञ करने का फल मिलता है।
श्री जगन्नाथ जी की आरती | Jagannath Ji Ki Aarti
आरती श्री जगन्नाथ,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
झांझ या मृदंग बाजे,ताल खनजरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि,
जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी,
जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी