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15 मार्च से शुरू होंगे खरमास, जानिए इस दौरान क्यों नहीं किए जाते हैं शुभ कार्य?

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Kharmas 2022: जल्द ही खरमास शुरू होने जा रहे हैं। हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। खरमास, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, एक ख़राब महीना या दूषित महीना है। 15 मार्च से सूर्य के कुंभ राशि से निकलकर गुरू की राशि मीन में प्रवेश करते ही खरमास (Kharmas) आरंभ हो जाएगा। सूर्य के लगभग एक महीने तक मीन राशि में रहने के बाद मेष राशि में प्रवेश करने के बाद खरमास (Kharmas) समाप्त हो जाएगा। खरमास के महीने में सभी शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं। खरमास शुरू होते ही शादी जैसे कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान बंद हो जाएंगे।

ज्योतिष में खरमास का महत्व

ज्योतिष में गुरु ग्रह का विशेष महत्व है। गुरु को बहुत ही शुभ फल देने वाला ग्रह माना जाता है। यह विवाह और धार्मिक गतिविधियों के लिए कारक ग्रह है। सभी 12 राशियों में से धनु और मीन राशि पर बृहस्पति ग्रह का शासन है। जब भी सूर्य देव इन राशियों में आते हैं तब खरमास शुरू हो जाता है। ज्योति शास्त्र के अनुसार, जब भी गुरु या फिर गुरु की राशि में सूर्यदेव आते हैं, तो इसे गुर्वादित्य कहा जाता है। इस दौरान सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं।

ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य का मीन राशि में प्रवेश 14-15 मार्च की मध्यरात्रि में होगा। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करते ही मीन संक्रांति शुरू हो जाएगी। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करते ही गुरु का प्रभाव कम हो जाता है। इसे खरमास या मलमास का महीना कहा जाता है। यह साल में दो बार आता है। खरमास के दौरान सूर्य देव धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इससे गुरु का प्रभाव कम हो जाता है। वहीं गुरु ग्रह को शुभ कार्यों का कारक माना जाता है। लड़कियों के विवाह के लिए गुरु को कारक माना जाता है। गुरु के कमजोर होने से विवाह में देरी होती है। साथ ही रोजगार और व्यापार में भी बाधा आती है। इसके कारण खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। विवाह के लिए शुक्र और गुरु दोनों का उदय होना आवश्यक है। यदि दोनों में से कोई एक भी अस्त हो तो मांगलिक कार्य वर्जित हैं।

खरमास के नियम

धार्मिक मान्यता के अनुसार खरमास के महीने में पूजा, तीर्थ, मंत्र जाप, भागवत गीता, रामायण पाठ और भगवान विष्णु की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। खरमास के दौरान दान, पुण्य, जप और भगवान का ध्यान करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर तांबे के पात्र में जल, रोली या लाल चंदन, शहद और लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस महीने में सूर्य देव को अर्घ्य देना बहुत फलदायी होता है।

खरमास में क्या न करें?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस महीने में मुंडन, गृहप्रवेश, सगाई और शादी आदि शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है। खरमास के महीने में घर, जमीन, प्लॉट या अचल संपत्ति से जुड़ी चीजें खरीदना अच्छा नहीं माना जाता है।

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