Kisan Andolan: किसान आंदोलन को सात महीने पूरे हो गए हैं। चंडीगढ़ में 32 किसान संगठनों ने शनिवार को राजभवन की तरफ कूच किया। किसान दोपहर करीब पौने एक बजे पंचकूला के नाडा साहिब गुरुद्वारा से रवाना हुए। वहीं किसानों ने मोहाली से अंब साहिब से यादविंदर चौक की तरफ कूच किया।
इस वक्त किसान नेता रुलदू सिंह ने कहा कि इंदिरा गांधी की तरफ से आज के दिन इमरजेंसी लगाई गई थी। यह मोर्चा उसे याद करते निकाला जा रहा है।
किसानों ने यादविंदर चौक पर पुलिस के बैरिकेड तोड़ दिए। किसान नेता रणजीत सिंह ने कहा कि 5000 तक के किसानों का टिकट हमने सोचा था पर 30 हजार से ज्यादा किसानों का टिकट अब तक हो चुका है। तक़रीबन 1 बजे किसान चंडीगढ़ की बॉर्डर पर पहुंचे।
पूरी तरह बैरिकेडिंग चंडीगढ़ पुलिस ने कर रखी है। पानी के टैंकर भी तैनात किये गए। पानी की बौछार चंडीगढ़ पुलिस ने करनी शुरू कर दी है। बैरिकेड तोड़कर किसान चंडीगढ़ में घुसे। वहीं किसान पंचकूला से भी बैरिकेड तोड़कर चंडीगढ़ घुस गए हैं।
चंडीगढ़ में पंजाब के किसान जीरकपुर और मुल्लांपुर बैरियर से घुसे। वहीं चंडीगढ़ में हरियाणा के किसान हाउसिंग बोर्ड लाइट प्वॉइंट से चंडीगढ़ में आए। पुलिस बल इन रास्तों पर तैनात है। पुलिस ने पंचकूला में घग्गर नदी के पुल के पास हैवी बैरिकेडिंग की है। बैरिकेड के साथ सीमेंट की बीम भी किसानों को रोकने के लिए लगाई गई है।
जानकारी के अनुसार पंजाब के सभी 32 किसान नेता और अन्य संगठनों के नेता गुरुद्वारा अंब साहिब मोहाली में पहुंचे।
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा है कि बॉर्डर पर किसान आठ माह से बैठे हैं। वे निराश हैं। इसलिए उनके नेता रोज एक नया कार्यक्रम आंदोलन को जिंदा रखने के लिए बनाते हैं। आज ज्ञापन राजभवन में देने की बात कही जा रही है। ऐसा होता रहता है।
They (farmers) are sitting at the borders for 8 months now. They’re disappointed. So, to keep their agitation alive, their leaders make a new program everyday. Today, they’ve spoken about submitting a memorandum at Raj Bhawan. This keeps happening: Haryana Home Minister Anil Vij pic.twitter.com/fCGQb3rYAJ
— ANI (@ANI) June 26, 2021
पिछले सात महीने से कृषि कानून रद्द कराने की मांग के लिए किसान आंदोलन (Kisan Andolan) कर रहे हैं। शांतिपूर्ण तरीके से धरना-प्रदर्शन करने की बात संयुक्त किसान मोर्चा ने कही है। और वही आपातकाल के 46 साल पूरे होने के तौर पर भी यह दिन मनाया जा रहा है। क्योंकि नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर उस वक्त अंकुश लगा था। ऐसा ही अंकुश इस समय लगाया जा रहा है। सरकार किसानों की बात सात महीने बात भी नहीं सुन रही है। किसानो की आवाज को दबाया जा रहा है।