Krishna Janmashtami 2022: हिंदू धर्म में कई मान्यताएं हैं। हिंदू धर्म में गहरी आस्था रखने वाले लोग भी भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। इसके साथ ही लोग मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर भी जाते हैं। देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। इसके बारे में कई ऐसी बातें हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इसी कड़ी में आज हम आपको कृष्णा नगरी वृंदावन के एक ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां माना जाता है कि वहां आज भी भगवान कृष्ण रोज आते हैं। आज हम आपको निधिवन, रंग महल और बांके बिहारी मंदिर के रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। जी हां, निधिवन के बारे में लोगों का मानना है कि आज भी श्री कृष्ण यहां रास लीला रचाने आते हैं। कई लोग अभी भी बांके बिहारी मंदिर मथुरा वृंदावन में कृष्ण लीला का अनुभव करते हैं।
रंगमहल मंदिर का रहस्य | Krishna Janmashtami
रंगमहल मंदिर के बारे में पुजारियों का कहना है कि रंगमहल मंदिर के कपाट रोज सुबह अपने आप खुल जाते हैं और रात में भी अपने आप बंद हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण यहां हर रात आते हैं। खास बात यह है कि उनके लिए यहां मक्खन भी रखा जाता है और रोजाना भगवान का बिस्तर भी लगाया जाता हैं। पुजारियों के अनुसार अगली सुबह बिस्तर की सिलवटें को देखने से पता चलता है कि श्री कृष्ण रात में यहीं आराम करते हैं।
आज भी निधिवन में लीला करने आते हैं श्री कृष्ण
रंगमहल मंदिर के पास एक निधिवन भी है। इसे बेहद रहस्यमयी जगह भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान कृष्ण और राधा रात में रास बनाने के लिए इस जंगल में आते हैं। इतना ही नहीं, पुजारी यह भी बताते हैं कि एक बार दो लोगों ने भगवान कृष्ण को रास करते हुए देखने की कोशिश की, लेकिन अगली सुबह दोनों पागल हो गए।
हालांकि, यह भी कहा जाता है कि जो लोग यहां सच्चे दिल से प्रार्थना करते हैं, उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं। भक्तों और स्थानीय लोगों का मानना है कि भगवान कृष्ण यहां राधा और गोपियों के बीच नृत्य करते हैं। दरअसल, आरती के बाद किसी को भी मंदिर के आसपास जाने की इजाजत नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई रात में मंदिर में रह जाता है, तो वह या तो अंधा हो जाता है या बहरा हो जाता है।
क्या है बांके बिहारी मंदिर का रहस्य
श्री बांके बिहारी मंदिर श्री कृष्ण का अत्यंत पवित्र धाम माना जाता है। बांके बिहारी मंदिर में हर साल मार्गशीष की पंचमी तिथि को भगवान बाके बिहारी जी का प्रगटोत्स्व उत्सव मनाया जाता है। यहां साल में एक बार ही बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते है। वह दिन वैशाख मास की अक्षय तृतीया का होता है। हालांकि, यहां दी गई सारी जानकारी अनुमानों पर आधारित है, यह सच्चाई से कितना जुड़ा है, यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है।
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