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मौनी अमावस्या 2022: मौनी अमावस्या पर क्या है मौन रहने का महत्व, अमावस्या के क्या हैं नियम

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Mauni Amavasya 2022: मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार हरि का जप करने से कई गुना अधिक पुण्य मौन रहने से प्राप्त होता है। आइए जानते हैं मौन व्रत क्या है और इसका क्या महत्व है।

Mauni Amavasya 2022: माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन मौन धारण करने का विशेष महत्व है। व्रत रखने वालों को मौन रहकर व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। इस बार मौनी अमावस्या 1 फरवरी को मनाई जाएगी। मौनी अमावस्या के दिन श्रीहरि की पूजा की जाती है। मौनी अमावस्या के दिन कई भक्त उपवास भी रखते हैं। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का भी विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार हरि का जप करने से कई गुना अधिक पुण्य मौन रहने से प्राप्त होता है। आइए जानते हैं मौन व्रत क्या है और इसका क्या महत्व है।

मौन का अर्थ

मौन या शांत रहने का अर्थ है कि भक्त को बाहरी जीवन से दूर रहकर अपने भीतर क्या चल रहा है। इसका आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। मन के अंदर जो भी कमियां दिखें या जो भी गलतियां हों उसे समझकर भगवान की आरधना में लीन हो जाएं और अपनी कमियों को दूर करें। मौन का अर्थ है मन को एकाग्र करना और भगवान के नाम का स्मरण करना। इससे आपके अंदर बढ़ रही नकारात्मकता दूर होगी और आपके आध्यात्मिक स्वभाव का विकास होगा।

मौन का महत्व

मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति संकल्प लेकर पूरे विधि-विधान से मौन व्रत रखता है तो उसे पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि भक्त पूरे दिन मौन व्रत नहीं रख सकते हैं। तो उन्हें स्नान और दान करने से पहले डेढ़ घंटे तक मौन व्रत रखना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों को 16 गुना अधिक पुण्य का फल प्राप्त होता है।

मौनी अमावस्या के नियम

  • इस दिन सुबह स्नान नदी, सरोवर या किसी पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
  • मौनी अमावस्या के दिन व्रत रखकर जहां तक ​​हो सके मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन कराएं।
  • गौ शाला में तिल, आंवला, कम्बल, पलंग, घी, अन्न, वस्त्र तथा गाय के लिए भोजन का दान करें।
  • अमावस्या के दिन आप गाय, स्वर्ण दान या भूमि दान कर सकते हैं।
  • माघ अमावस्या को हर अमावस्या की तरह पितरों का स्मरण करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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