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आज का रहस्य: क्यों और कैसे हो रही है आकाशगंगा की मौत, रहस्य से उठा पर्दा

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आज का रहस्य: अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। इस दौरान वैज्ञानिकों को कई जानकारियां मिल रही हैं। और वे लगातार नए खुलासे कर रहे हैं। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दुर्लभ खगोलीय घटना का खुलासा किया है। जिसके बारे में जानकर पूरी दुनिया हैरान है। यह घटना पहले कभी नहीं देखी गई थी। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से करीब 9 अरब प्रकाश वर्ष दूर एक आकाशगंगा की खोज की है। यह आकाशगंगा धीरे-धीरे मर रही है। यह आकाशगंगा नए तारे बनाती है। लेकिन नए तारे बनाने वाली गैस और ईंधन धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं।

अंतरिक्ष में कई आकाशगंगाएँ स्थित हैं। जो एक निर्धारित अवधि पूरी करने के बाद मर जाती हैं। वैज्ञानिकों ने इससे पहले किसी आकाशगंगा की मौत नहीं देखी थी। इस पर अभी तक वैज्ञानिक सिर्फ शोध ही कर रहे थे। वैज्ञानिकों ने पहली बार आकाशगंगा को मरते देखा है।

वैज्ञानिकों ने इस खगोलीय घटना को एक विशेष दूरबीन से देखा। एक आकाशगंगा धीरे-धीरे मर रही है। जो हमारी पृथ्वी से करीब 9 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर मौजूद है। वैज्ञानिकों ने जिस टेलिस्कोप से इस आकाशगंगा का पता लगाया है, वह है अटाकामा लार्ज मिलिमीटर/सबमिलीमीटर एरे (एएलएमए) टेलिस्कोप।

46 प्रतिशत हिस्सा हो चुका है समाप्त

इस आकाशगंगा की पहचान के लिए ID2299 नाम दिया गया है। आकाशगंगा से नए तारे बनते हैं। लेकिन इनमें से आधे से अधिक खो जाते हैं। इसके अलावा आकाशगंगा का ईंधन भी खत्म हो रहा है। अंतरिक्ष में आकाशगंगा की मृत्यु के बाद नए तारे नहीं बन पाएंगे।

आकाशगंगा की मृत्यु ईंधन या गैसों के समाप्त होने के कारण होती है। जो नए तारे बनाते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार साइंटिस्ट्स ने जिस ID2299 को खोजा है। उससे प्रत्येक साल तकरिअन दस हजार सूर्य बनाने वाली गैसें ठंडी गैस बनकर बाहर निकलती जा रही हैं। इस वक्त इन गैसों का 46 प्रतिशत भाग खत्म हो चुका है।

जानिए कब तक होगी मौत

अच्छी बात यह है कि इस आकाशगंगा में अभी भी नए तारे बन रहे हैं। लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि नए तारों के निर्माण में ईंधन समाप्त होता जा रहा है। जिससे बची हुई गैसें जल्द ही समाप्त हो जाएंगी। अब इसे खत्म होने में लाखों साल लगेंगे।

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