Namkaran Ke Niyam: हिंदू धर्म में बच्चे का नाम तय करते समय दिन का ख़ास महत्व है। शास्त्रों के अनुसार लड़के या लड़की के जन्म के 11, 12 और 16वें दिन नामकरण (Namkaran) संस्कार किया जाता है। लेकिन पूर्णिमा और अमावस्या को भूलकर भी बच्चे का नामकरण संस्कार कभी नहीं करना चाहिए।
Namkaran Niyam In Astrology: हिंदू धर्म में सभी सोलह संस्कारों में नामकरण संस्कार का विशेष महत्व है। बच्चे के जन्म के बाद संस्कारों के अनुसार नामकरण संस्कार किया जाता है। लेकिन आज के समय में हर बच्चे के माता-पिता बच्चे के जन्म से पहले ही इंटरनेट के जरिए अलग-अलग जगहों से बच्चों के अलग-अलग नाम सर्च करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय उसके भाग्य का फैसला उस समय आकाश में ग्रहों और नक्षत्रों की चाल के आधार पर होता है। हिंदू धर्म में लड़के या लड़की के नामकरण के संबंध में कुछ नियम हैं। धार्मिक शास्त्रों के आधार पर बच्चे का नामकरण बच्चे के जीवन, व्यवहार, स्वभाव और भाग्य को प्रभावित करता है। आइए जानते हैं बच्चे का नामकरण करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
संतान की राशि का नामकरण में महत्व (Significance in naming the zodiac of the child)
जब किसी बच्चे का जन्म होता है। तो उसी समय उसकी राशि निश्चित होती है। ज्योतिषी या पंडित बच्चे की कुंडली बनाते समय उसकी राशि की गणना करते हैं। और उसी के आधार पर बच्चे के नाम का पहला अक्षर बताते हैं। यह अक्षर उस समय के ग्रह, नक्षत्र और राशि की गणना पर आधारित है। इसलिए यह कोशिश की जानी चाहिए कि बच्चे के नाम का पहला अक्षर उसी से शुरू हो जो ज्योतिषी ने बताया है। राशि नाम का प्रभाव बच्चे के विकास और भविष्य पर पड़ता है।
दिन का महत्व
हिंदू धर्म में बच्चे का नाम तय करते समय दिन का ख़ास महत्व है। शास्त्रों के अनुसार लड़के या लड़की के जन्म के 11, 12 और 16वें दिन नामकरण संस्कार किया जाता है। लेकिन पूर्णिमा और अमावस्या को भूलकर भी बच्चे का नामकरण संस्कार कभी नहीं करना चाहिए।
शुभ नक्षत्रों का महत्व
किसी भी शुभ काम को करने में शुभ नक्षत्रों का ख़ास महत्व होता है। ऐसे में नामकरण संस्कार करते वक्त शुभ नक्षत्र को ध्यान में रखना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सभी 27 नक्षत्रों में से कुछ नक्षत्र शुभ कार्य करने के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं तो कुछ अशुभ। अनुराधा, पुनर्वसु, माघ, उत्तरा, उत्तराषाढ़, उत्तरभाद्र, शतभिषा, स्वाति, धनिष्ठा, श्रवण, रोहिणी, अश्विनी, मृगशिर, रेवती, हस्त और पुष्य नक्षत्र संतान के नामकरण के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
नाम में अर्थ का महत्व
प्रचलित मान्यता के अनुसार बच्चे के माता-पिता अनोखे नाम के कारण ऐसे नाम रखते हैं। जिनका कोई अर्थ नहीं होता। बिना अर्थ के नाम का कोई महत्व नहीं है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बच्चे के नाम में हमेशा अर्थ होना जरूरी है। नाम का प्रभाव बच्चे के व्यक्तित्व को प्रभावित करता रहता है। इसलिए इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे का नाम अर्थपूर्ण हो।