Pongal Kab Hai 2023: पोंगल दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में मनाया जाता है। दक्षिण भारत के लोग इस पर्व को नववर्ष के रूप में मनाते हैं। जिस समय उत्तर भारत में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, उसी समय दक्षिण भारत में पोंगल का पर्व मनाया जाता है। पोंगल का यह पर्व चार दिनों तक चलता है। पोंगल का त्योहार दक्षिण भारत में चार दिनों तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। तमिल में पोंगल का अर्थ होता है उफान या विप्लव । पोंगल पर्व पर सुख-समृद्धि के लिए वर्षा, धूप और कृषि से संबंधित वस्तुओं की पूजा की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं पोंगल पर्व का महत्व।
पोंगल कब शुरू हो रहा है? (Pongal Kab Hai 2023)
तमिल कैलेंडर के अनुसार जब 14 या 15 जनवरी को सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे नए साल की शुरुआत माना जाता है। इस साल पोंगल का त्योहार 15 जनवरी से 18 जनवरी 2023 तक मनाया जाएगा।
चार दिवसीय त्योहार की मुख्य परंपराएं
पोंगल का पर्व चार दिनों तक अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। इस चार दिवसीय उत्सव के पहले दिन को भोगी पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है। पोंगल के दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन को मात्तु पोंगल और चौथे दिन को कन्नम पोंगल के रूप में मनाया जाता है।
पोंगल सुख-समृद्धि का प्रतीक
मान्यता है कि जिस तरह से सूर्य के उत्तरायण होने के बाद उत्तर भारत में मकर संक्रांति मनाई जाती है। इसी तरह दक्षिण में पोंगल का त्योहार मनाया जाता है। परंपरागत रूप से यह त्योहार समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, जिसमें समृद्धि लाने के लिए बारिश, धूप और खेतिहर मवेशियों की आराधना की जाती है।
इस तरह मानते है पोंगल
पोंगल का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान घरों की साफ-सफाई और लिपाई-पुताई किया जाता है। इसके बाद रंगोली बनाई जाती है। माना जाता है कि पोंगल के मौके पर दक्षिण भारतीय लोग बुरी आदतों को छोड़कर सुखी जीवन की कामना करते हैं।
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