Pradosh Vrat Kab Hai 2022: हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का बहुत महत्व है। त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव के भक्त उपवास रखते हैं व पूजा-अर्चना करते हैं। कहते है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के परिवार में सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं। इसके साथ ही जो व्यक्ति प्रत्येक प्रदोष का व्रत, नियम और निष्ठा से करता है। उसके कष्टों का नाश होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल के दौरान देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक प्रदोष काल में की गई भगवान शिव की पूजा कई गुना अधिक फलदायी होती है। तो आइए जानते हैं मार्च महीने के प्रदोष व्रत तिथि, पूजा मुहूर्त और के महत्व के बारे में।
मार्च में कब मनाया जाएगा प्रदोष व्रत?
महादेव की कृपा प्रदान करने वाला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) मार्च माह में दो बार यानि 15 और 29 तारीख को होगा। ऐसा माना जाता है कि विधि के अनुसार प्रदोष व्रत का पालन करने से शिव भक्तों को सभी पापों और रोगों से मुक्ति मिलती है। साथ ही उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
प्रदोष के अलग-अलग वार पर पड़ने के कारण इसे अलग-अलग नाम भी दिया गया है। जिस प्रकार प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है। उसी प्रकार इसे सोम प्रदोष कहते हैं। इसी प्रकार मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं।
प्रदोष व्रत कैसे रखें?
प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और उसके बाद पवित्र प्रदोष व्रत का संकल्प लें और शिवजी की पूजा करें। वहीं दूसरी ओर दिन में भगवान शिव का ध्यान और जप करते हुए शाम को एक बार फिर स्नान करें और सूर्यास्त के समय प्रदोष काल के दौरान विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
उत्तर-पूर्व दिशा में कुश आसन पर बैठकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा में ‘ऊं नम: शिवाय:’ मंत्र की माला का जाप विशेष फल देता है। इसलिए जलाभिषेक के साथ’ऊं नम: शिवाय:’ का जाप करते रहें। इसके बाद बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत और धूप-दीप आदि से भगवान शिव की पूजा करें।
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