Rudraksh Benefits: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल महाशिवरात्रि के रूप में मनाए जाने वाले फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव व माँ पार्वती का विवाह हुआ था। इस बार यह पर्व 1 मार्च 2022 को है। कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर धरती पर मौजूद सभी शिवलिंगों में भगवान भोलेनाथ विराजमान होते हैं। मान्यता है कि इस दिन यदि सच्चे मन से महादेव और माता पार्वती की पूजा की जाए तो दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए महाशिवरात्रि पर शिव को प्रसन्न करने और हर मनोकामना पूरी करने के लिए कुछ विशेष उपाय और विशेष पूजा की जाती है। रुद्राक्ष धारण (Rudraksh) करने की दृष्टि से भी महाशिवरात्रि का दिन बहुत शुभ माना जाता है। रुद्राक्ष (Rudraksh) कई प्रकार के होते हैं और सभी के अलग-अलग प्रभाव होते हैं। व्यवसायों के अनुसार अलग-अलग रुद्राक्ष धारण करने से क्या प्रभाव होंगे? आइए जानते हैं….
मेडिकल क्षेत्र के लोग
मेडिकल के क्षेत्र से जुड़े हों तो महाशिवरात्रि के दिन नौमुखी और ग्यारहमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। कहा जाता है कि हनुमान जी भोलेनाथ के ग्यारहवें रुद्रावतार हैं। ऐसे में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को हनुमान जी से जोड़कर भी देखा जाता है। ऐसे में यह आपके लिए काफी लकी साबित हो सकता है।
पुलिस या सेना से संबंधित लोग
अगर आप पुलिस या सेना से जुड़े हैं तो आपको महाशिवरात्रि के दिन नौमुखी और चारमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। कहा जाता है कि नौमुखी और चारमुखी रुद्राक्ष व्यक्ति में नया जोश पैदा करते हैं। ऐसे में इन्हें पहनकर आप अपने क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
राजनीति में शामिल लोग
राजनीति से जुड़े लोगों को एकमुखी या चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता में सुधार होगा और लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ेगी। साथ ही इसका लाभ आपको अपने क्षेत्र में भी मिलेगा।
व्यापार वर्ग के लिए
यदि आप बड़ी सफलता प्राप्त करना चाहते हैं और एक कुशल व्यवसायी बनकर पैसा कमाना चाहते हैं, तो आपको तेरह मुखी और चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यह आपके और आपके बच्चों के लिए भी भाग्यशाली है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
रुद्राक्ष को ऐसे नहीं धारण करना चाहिए। इसके लिए कुछ नियम हैं। जिनका पालन करने पर यदि आप रुद्राक्ष धारण करते हैं तो उसका फल भी अच्छा ही मिलता है। सबसे पहले रुद्राक्ष को हमेशा गंगाजल से शुद्ध कर शिवलिंग को स्पर्श कराकर ही धारण करना चाहिए। साथ ही इसे गले, कलाई या हृदय पर पहना जाता है। सबसे खास बात यह है कि रुद्राक्ष को धारण करने के बाद आपको शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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