Saphala Ekadashi Katha: पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहते हैं। इस बार साल 2021 की यह आखिरी एकादशी 30 दिसंबर, गुरुवार को है।
Saphala Ekadashi Katha: पद्म पुराण में पौष मास (एकादशी तिथि) के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहा गया है। इस बार वर्ष 2021 की यह अंतिम एकादशी 30 दिसंबर, गुरुवार को है। एकादशी का व्रत करने वाले और भगवान श्री विष्णु का स्मरण करने और उनकी पूजा करने वालों को किसी अन्य पूजा की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि ये अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करके विष्णुलोक में ले जाती हैं। इनमें सर्वत्र सफलता देने वाली सफला एकादशी अपने नाम के अनुरूप ही सभी कार्यों को पूर्ण करती है। इस एकादशी के संदर्भ में पुराणों में कहा गया है कि हजारों वर्षों तक तपस्या करने से जो पुण्य प्राप्त होता है। वह सफला एकादशी के व्रत को रात्रि में भक्ति के साथ करने से प्राप्त होता है। इस दिन दीप दान करने का भी बहुत महत्व बताया गया है। सफला एकादशी उन लोगों को जरूर करनी चाहिए। जो हर काम में असफल हो जाते हैं। और बहुत मेहनत करने के बाद भी उन्हें अपने काम में मनचाही सफलता नहीं मिलती है।
पूजा विधि सफला एकादशी 2021
इस दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान नारायण का ध्यान करते हुए नारायण को पंचामृत (दही, दूध, घी, चीनी, शहद) से स्नान कराएं। इसके बाद गंगा जल से स्नान कर भगवान विष्णु को कुमकुम-अक्षत लगाएं। सफला एकादशी की कथा सुनें या पढ़ें और दीपक और कपूर से श्री हरि की आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें। जितना हो सके तुलसी की माला से भगवान विष्णु के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें। इसके पश्चात शाम को भगवान नारायण के मंदिर या उनकी मूर्ति के सामने भजन-कीर्तन का कार्यक्रम करें। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में धन और सुख की प्राप्ति होती है। परलोक में भी इस एकादशी का फल उत्तम स्थान देता है। जो लोग किसी कारणवश इस एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं। उन्हें इस दिन भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कथा का पाठ करना चाहिए। इस दिन विष्णु सहस्रनाम, गीता और रामायण का पाठ भी बहुत फलदायी होता है। सफला एकादशी के दिन तिल और चीनी को फलाहार के रूप में लिया जाता है।
सफला एकादशी कथा 2021 / Saphala Ekadashi Katha
पौराणिक कथा के अनुसार राजा माहिष्मत का ज्येष्ठ पुत्र सदैव पाप कर्मों में लिप्त होकर देवी-देवताओं की निन्दा करता था। पुत्र को इतना पापाचारी देखकर राजा ने उसका नाम ‘लुम्भक’ रखा और उसे अपने राज्य से निकाल दिया। पाप बुद्धि लुम्भक प्रतिदिन मांस और फल खाकर वन में रहने लगा। उस दुष्ट का विश्राम स्थल एक बहुत पुराने पीपल के पेड़ के पास था। पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी को वह ठंड के कारण बेजान हो गया। अगले दिन सफला एकादशी की दोपहर में सूर्य देव की तपन के प्रभाव से उसे होश आया। भूख से कमजोर लुंभक जब फल इकठ्ठा करके लाया तो सूर्यास्त हो गया। फिर उन्होंने उसी पीपल के पेड़ की जड़ में फलों का अनुरोध किया और कहा- ‘भगवान विष्णु इन फलों से संतुष्ट हों’। अनायास ही लुंभक से इस व्रत का पालन हो गया। जिससे लुंभक को दैवीय रूप, राज्य, पुत्र आदि की प्राप्ति हुई। सफल एकादशी का पाठ या श्रवण करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
सफला एकादशी शुभ मुहूर्त 2021
एकादशी तिथि प्रारंभ- 29 दिसंबर 2021 बुधवार दोपहर 04:12 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त –30 दिसंबर 2021 गुरुवार दोपहर 01:40 मिनट तक
सफला एकादशी व्रत का पारण मुहूर्त – 31 दिसंबर 2021, शुक्रवार सुबह 07:14 से 09:18 बजे तक
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