Sawan Shivratri Vrat Katha: कहा जाता है कि सावन शिवरात्रि की कथा का पाठ करने से सावन शिवरात्रि व्रत का पूर्ण फल मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
Sawan Shivratri Vrat Katha: हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल कुल 12 शिवरात्रि तिथियां आती हैं। यह शिवरात्रि तिथि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इन शिवरात्रियों में महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। कल 26 जुलाई को सावन शिवरात्रि पड़ रही है। सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना शुभ होता है। सावन शिवरात्रि का व्रत रखने वाले भक्तों को कथा अवश्य सुननी चाहिए। कहा जाता है कि कथा का पाठ करने से सावन शिवरात्रि व्रत का पूर्ण फल मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यहां पढ़ें सावन शिवरात्रि की पूरी व्रत कथा।
सावन शिवरात्रि व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार गुरुद्रुह नाम का एक भील शिकारी अपने परिवार के साथ वाराणसी के घने जंगल में रहता था। एक दिन गुरुद्रुह शिकार के लिए निकला लेकिन उसे एक भी शिकार नहीं मिला। काफी देर तक इंतजार करने के बाद वह जंगल में शिकार की तलाश में एक बेल के पेड़ पर चढ़ गया। उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग स्थापित किया गया था। कुछ देर बाद एक हिरण वहां भटकता हुआ आया। गुरुद्रुह ने जैसे ही हिरण को देखा, उसने अपना धनुष-बाण खींच लिया। लेकिनतीर हिरनी को लगता उससे पहले ही उसके पास रखा जल और पेड़ से बेलपत्र शिवलिंग पर गिर गए। ऐसे में गुरुद्रुह ने अनजाने में शिवरात्रि के पहले पहर की पूजा की। हिरण ने देखा तो उसने शिकारी से कहा कि मेरे बच्चे मेरी बहन के पास इंतजार कर रहे हैं।
मैं उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ कर फिर आती हूँ। कुछ समय बाद हिरनी की बहन वहां से गुजरी और उस समय भी गुरुद्रुह ने अनजाने में दूसरे चरण में उसी प्रकार महादेव की पूजा की। हिरनी की बहन ने भी दुहाई देते हुए वापस आने का वादा किया। दोनों हिरनियों की तलाश में हिरण तीसरे पहर में वहां पहुंच गया। इस बार भी ऐसी घटना घटी और अनजाने में शिकारी ने शिवरात्रि के तीसरे पहर की पूजा कर ली। हिरण ने भी बच्चों की दुहाई देते हुए कुछ समय बाद आने का वादा किया।
तीन पहर के बाद, तीन तीनों हिरन-हिरनी वादे के अनुसार शिकारी के पास लौट आए। लेकिन इस बीच भूख से कलपते हुए पेड़ से बेलपत्र तोड़ते तोड़ते वो नीचे शिवलिंग पर डालने लगा और इस तरह चौथी पहर की भी पूजा की गई। चारों पहर भूखे-प्यासे रहकर गुरुद्रुह के सारे पाप धुल गए और अंजाने में प्रभु की आराधना की। तब भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया कि त्रेतायुग में, भगवान विष्णु के अवतार श्री राम, उनके घर आएंगे और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। इस प्रकार अनजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया।
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