Shaligram: सनातन धर्म को मानने वाले अधिकतर लोग शालिग्राम (Shaligram) के बारे में जानते होंगे। काले रंग के चिकने अंडाकार पत्थर के रूप में इनकी पूजा की जाती है। स्वयंभू होने के कारण उन्हें अभिषेक करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए भक्त उन्हें घर ला सकते हैं। और आसन पर बैठकर सीधे उनकी पूजा कर सकते हैं। उन्हें भगवान श्री हरि विष्णु का रूप माना जाता है। इन्हें घर में रखने और नियमित रूप से इनकी पूजा करने से आपको कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है। घर में सुख-समृद्धि आती है।
भगवान शालिग्राम (Shaligram) को विष्णु का एक रूप माना जाता है। इसलिए उन्हें तुलसी अवश्य अर्पित की जाती है। तुलसी के बिना शालिग्राम की पूजा अधूरी मानी जाती है। शालिग्राम की पूजा करते हुए तुलसी का भोग लगाने से वे बहुत प्रसन्न होते हैं। आपको हर काम में सफलता मिलती है।
शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह का भी प्रावधान है। कहा जाता है कि तुलसी विवाह करने से पुत्री के दान के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति के सभी प्रकार के पाप, कलह आदि का नाश होता है।
अगर आपके घर में धन संबंधी समस्या है तो भी शालिग्राम विराजमान करने से लाभ मिलेगा। क्योंकि शालिग्राम को घर में रखने से विष्णु जी और माता लक्ष्मी का भी वास होता है।
शालिग्राम की नित्य पूजा और जल से स्नान कराने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। घर में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं होती है। शालिग्राम के अभिषेक जल को स्वयं पर छिड़कने से तीर्थ और यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है।
शालिग्राम जी को नित्य स्नान कराकर चन्दन लगाना चाहिए। उसके बाद तुलसीदल का भोग लगाते हुए चरणामृत भी चढ़ाना चाहिए। इससे आपकी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं।
कहा जाता है कि स्वयं भगवान शिव ने भी शालिग्राम की स्तुति की थी। इसलिए शालिग्राम को घर में रखने से महादेव की कृपा भी मिलती है। शास्त्रों के अनुसार शालिग्राम जिस स्थान पर निवास करते हैं। वह तीर्थ स्थान माना गया है।