Shani Jayanti 2022: ज्येष्ठ माह में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है। यह महीना हिंदी कैलेंडर का तीसरा महीना है। ज्येष्ठ के महीने में जल संरक्षण को विशेष महत्व दिया जाता है। ज्येष्ठ माह के नौ दिनों तक सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है, इसे नौतपा कहा जाता है। इस दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र, वृष और मिथुन राशि में निवास करते है। इस दौरान उत्तरायण में सूर्य देव वास करते हैं, जिसे देवताओं का दिन कहा जाता है। ज्येष्ठ मास में जल का महत्व होने के कारण ही निर्जला एकादशी और गंगा दशहरा जैसे पर्व मनाए जाते हैं। जिनमें जल बचाने का संदेश दिया जाता है। इसके अलावा, भगवान शनि देव का जन्मदिन ज्येष्ठ के महीने में मनाया जाता है और ज्येष्ठ मास भी भगवान हनुमान का पसंदीदा महीना है।
शनिदेव का जन्म दिवस ज्येष्ठ अमावस्या
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार न्याय और कर्म के दाता भगवान शनि देव का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन हुआ था। इस दिन शनि जयंती (Shani Jayanti) मनाई जाती है। इस साल शनि जयंती 30 मई को है। शनि जयंती (Shani Jayanti) पर भगवान शनि देव की विशेष पूजा की जाती है। जिन लोगों पर शनि दोष, शनि साढ़ेसाती और शनि ढैया होती हैं। शनि अमावस्या पर शनिदेव की पूजा करने से यह दोष कम हो जाता है। शनि अमावस्या के दिन गंगा स्नान, तिल का दान और शनि से संबंधित अन्य चीजों का दान और पूजा करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
हनुमंत पूजा-आराधना का महीना ज्येष्ठ
ज्येष्ठ मास में हनुमानजी की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस मास के स्वामी मंगलदेव हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम और हनुमान जी की पहली मुलाकात ज्येष्ठ माह में हुई थी, इसलिए यह माह महत्वपूर्ण है। इस महीने के मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है। बड़ा मंगल पर हनुमान जी की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी।
देवताओं का महीना
हिंदू धर्म में सूर्य उत्तरायण में 6 महीने और दक्षिणायन में 6 महीने रहता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं। ज्येष्ठ मास सूर्य के उत्तरायण का पाँचवाँ महीना है और यह सूर्य के उत्तरायण यानि उत्तरकाल का अंतिम समय है। उत्तरायण मास को देवताओं का दिन माना जाता है। ऐसे में ज्येष्ठ मास में की जाने वाली पूजा और दान का विशेष महत्व है। इस महीने में सूर्य की पूजा करने से सभी प्रकार के रोग दूर होते हैं और दरिद्रता भी दूर होती है।
महत्वपूर्ण व्रत
ज्येष्ठ मास में कई प्रकार के व्रत रखे जाते हैं, जिनका विशेष महत्व है। इस महीने में वट सावित्री व्रत आता है जिसमें महिलाएं बिना पानी पिए व्रत रखती हैं। इस महीने में शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा अवतरण दिवस मनाया जाता है। वहीं इस महीने में निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस माह में जल दान का विशेष महत्व है।