कल का पंचांग | Tomorrow Panchang
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत् – 2079
शक संवत – 1944
कार्तिक कृष्ण पक्ष, अमावस्या
दिनांक – 25 अक्टूबर 2022
सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 01 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 22 मिनट पर
कल का पंचांग (Tomorrow Panchang | Tomorrow Tithi): वैदिक पंचांग (Vedic Panchang) के नाम से भी हिंदू पंचांग को जाना जाता है। समय एवं काल की पंचांग के माध्यम से सटीक गणना की जाती है। नक्षत्र, वार, अंग तिथि, योग और करण पांच अंग है। हम आपको दैनिक पंचांग में राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, शुभ मुहूर्त, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति सहित हिंदू मास एवं पक्ष आदि की जानकारी देते हैं। तो चलिए फिर जानते है आज का शुभ मुहूर्त व राहुकाल का समय।
अभिजीत मुहूर्त | 11:19 AM से 12:05 PM |
अमृत काल मुहूर्त |
07:59 AM से 09:34 AM
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विजय मुहूर्त | 01:35 PM से 02:21 PM |
गोधूलि मुहूर्त | 05:11 PM से 05:35 PM |
सायाह्न संध्या मुहूर्त | 05:22 PM से 06:38 PM |
निशिता मुहूर्त | 11:17 PM से 12:07 AM, Oct 26 |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:21 AM, Oct 26 से 05:11 AM, Oct 26 |
प्रातः संध्या | 04:46 AM, Oct 26 से 06:02 AM, Oct 26 |
दुष्टमुहूर्त |
08:17:36 से 09:03:01 तक
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कालवेला / अर्द्धयाम | 08:17:36 से 09:03:01 तक |
कुलिक |
12:50:07 से 13:35:32 तक
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यमघण्ट | 09:48:26 से 10:33:52 तक |
कंटक | 06:46:46 से 07:32:11 तक |
यमगण्ड | 08:51:40 से 10:16:50 तक |
राहुकाल | 14:32:19 से 15:57:29 तक |
गुलिक काल | 11:41:59 से 13:07:09 तक |
भद्रा |
कोई नहीं है
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गण्ड मूल |
कोई नहीं है
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अभिजीत मुहूर्त | 11:19 AM से 12:05 PM |
सर्वार्थ सिद्धि योग |
कोई नहीं है
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अमृत सिध्दि योग | कोई नहीं है |
रवि योग |
कोई नहीं है
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द्विपुष्कर योग | कोई नहीं है |
त्रिपुष्कर योग | कोई नहीं है |
पंचांग के पांच अंग तिथि
हिन्दू काल गणना (हिन्दू कैलेंडर) के अनुसार ‘सूर्य रेखांक’ से ‘चन्द्र रेखांक’ को बारह अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है। वह तिथि कहलाती है। एक माह में 30 तिथियां होती हैं। और ये तिथियां 2 पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। तिथि के नाम – प्रतिपदा (Pratipada), द्वितीया (Dwitiya), तृतीया (Tritiya), चतुर्थी (Chaturthi), पंचमी (Panchami), षष्ठी (Shashthi), सप्तमी (Saptami), अष्टमी (Ashtami), नवमी (Navami), दशमी (Dashami), एकादशी (Ekadashi), द्वादशी (Dwadashi), त्रयोदशी (Trayodashi), चतुर्दशी (Chaturdashi), अमावस्या/पूर्णिमा (Amavasya / Poornima)।
नक्षत्र
आकाश मंडल में एक तारा समूह को कहा जाता है। 27 नक्षत्र जिसमे होते हैं। और इन 27 नक्षत्रों का स्वामित्व नौ ग्रहों को प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम – कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र।
वार
वार से मतलब दिन से है। 1 एक सप्ताह सात वार / दिन होते हैं। ग्रहों के नाम से ये सात वार / दिन रखे गए हैं – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार।
योग
योग भी नक्षत्र की तरह ही 27 प्रकार के होते हैं। योग सूर्य-चंद्र (Sun-Moon) की विशेष दूरियों की स्थितियों को कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम – शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, विष्कुम्भ, प्रीति, व्याघात, हर्षण, वज्र, आयुष्मान, सौभाग्य, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, सिद्धि, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य।
करण
दो करण 1 तिथि में होते हैं। कुल मिलाकर 11 करण होते हैं। जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं – गर, वणिज, चतुष्पाद, बालव, कौलव, तैतिल, नाग और किस्तुघ्न, बव, विष्टि, शकुनि। करण को भद्रा विष्टि कहते हैं। व शुभ कार्य करना भद्रा में वर्जित माने गए हैं।