Vidur Niti: विदुर नीति में उल्लेख है कि यदि किसी व्यक्ति के कर्म अच्छे नहीं हैं, तो मृत्यु के बाद भी उसे लंबे समय तक आत्मा के रूप में भटकना पड़ता है। विदुर नीति के अंतर्गत मनुष्य के उन स्वभाव और चरित्र गुणों का उल्लेख किया गया है। जिसके कारण व्यक्ति स्वर्ग का भागी बन जाता है।
Vidur Niti: महात्मा विदुर महाभारत के बुद्धिजीवियों में से एक थे। वह बहुत ही शांत और सरल स्वभाव के होने के साथ-साथ तेज बुद्धि और दूरदर्शी भी थे। यही कारण था कि वह भगवान कृष्ण को भी प्रिय थे। जब कृष्ण जी महाभारत युद्ध से पहले कौरवों के सामने शांति प्रस्ताव लेकर गए थे, तब विदुर के पास ही ठहरे थे। धृतराष्ट्र और पांडु की तरह, वह महर्षि वेद व्यास के पुत्र थे, लेकिन उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। जिसके कारण वे सभी गुणों से परिपूर्ण होते हुए भी राजा नहीं बन सके। वह हस्तिनापुर के महामंत्री थे। इसलिए महाराजा धृतराष्ट्र उनसे महत्वपूर्ण मामलों पर सलाह लेते थे और हर बात पर खुलकर चर्चा करते थे। विदुर जी और धृतराष्ट्र के बीच चर्चा के महत्वपूर्ण बिंदु विदुर नीति के रूप में जाने जाते हैं। विदुर नीति में उल्लेख है कि यदि किसी व्यक्ति के कर्म अच्छे नहीं हैं, तो मृत्यु के बाद भी उसे लंबे समय तक आत्मा के रूप में भटकना पड़ता है। विदुर नीति के अंतर्गत मनुष्य के उन स्वभाव और चरित्र गुणों का उल्लेख किया गया है। जिसके कारण व्यक्ति स्वर्ग का भागी बन जाता है। आइए जानते हैं विदुर नीति इस बारे में क्या कहते हैं।
बड़ों का सम्मान
विदुर नीति का कहना है कि जो व्यक्ति अपने घर केया बाहर के बुजुर्गों का सम्मान करता है। वह स्वर्ग का भागी है। उन्हें हमेशा बड़ों का आशीर्वाद मिलता है। जिस घर में बड़े-बुजुर्गों का अपमान होता है, उस घर का विनाश होने में ज्यादा समय नहीं लगता।
आखिरी में करे भोजन
विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति अपनी कमाई से खरीदे गए अन्न का एक हिस्सा अपने बड़ों के लिए, एक हिस्सा अपने परिवार के सदस्यों के लिए और एक हिस्सा अतिथि के लिए रख कर बचा हुआ भोजन लेता है। उसके घर में सदैव बरकत रहती है। और ऐसे व्यक्ति को स्वर्ग अवश्य मिलता है।
अहिंसा का पालन
विदुर नीति के अनुसार जो व्यक्ति जीवन भर अहिंसा का पालन करता है। उसमें किसी भी प्राणी के प्रति हिंसा की भावना नहीं होती है। और करुणा की भावना होती है, तो उसका जीवन सार्थक माना जाता है और वह स्वर्ग में अवश्य जाता है।
अंतर्मन की सुनें
महात्मा विदुर के अनुसार व्यक्ति को हमेशा अपने अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए। अगर उसे लगता है कि उसने कुछ गलत किया है और अपनी अंतरात्मा की आवाज पर ध्यान नहीं दिया तो वह हमेशा बेचैन रहेगा। इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले मन की आवाज सुननी चाहिए।
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