Vidur Niti: महाभारत काल के महान दार्शनिक विदुर ने मानव कल्याण के लिए कई सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं। जिन्हें विदुर नीति के नाम से जाना जाता है। वह धृतराष्ट्र के सौतेले भाई और एक दासी के पुत्र थे। विदुर नीति (Vidur Niti) में जहां युद्ध की रणनीति और राजनीति है। वहीं ऐसे नियम भी हैं जो आम लोगों के जीवन के लिए प्रासंगिक हैं। महात्मा विदुर ने श्लोक के माध्यम से मनुष्य के सुखी जीवन के सार को व्यक्त करने का प्रयास किया है। यह श्लोक इस प्रकार है-
एको धर्म: परम श्रेय: क्षमैका शान्तिरुक्तमा।
विद्वैका परमा तृप्तिरहिंसैका सुखावहा ॥
इस श्लोक में महात्मा विदुर ने बताया है कि जो व्यक्ति हमेशा धर्म के मार्ग पर चलता है। वह कभी भी कुछ भी बुरा नहीं कह सकता। इसका मतलब है कि अगर आप जीवन में सुख और शांति चाहते हैं। तो धर्म के मार्ग पर चलें। इससे न केवल आपका बल्कि दूसरों का भी कल्याण होगा।
क्षमा करना सर्वश्रेष्ठ उपाय
जो कोई भी सफल होता है। वह अपने जीवन में बहुत सारी गलतियाँ करता है। लेकिन बुद्धिमान वही है। जो गलती को माफ कर दे और जीवन में आगे बढ़े। किसी की गलती पर मन में गांठ बांधने से रिश्ता हमेशा खराब हो जाता है। और आप खुद के साथ-साथ दूसरों को भी दुखी रखते हैं। लेकिन क्षमा सर्वोच्च है।
ज्ञान संतोषजनक
किसी व्यक्ति का सबसे बड़ा धन उसका ज्ञान है। ऐसा व्यक्ति जो बिना किसी लालच के अपने ज्ञान से हमेशा संतुष्ट रहता है। तो उससे बढ़कर दुनिया में कोई खुश नहीं है। ज्ञान होने पर ही मनुष्य सुखी जीवन व्यतीत करता है।
अहिंसा के पथ पर चले
जो व्यक्ति हमेशा शांति के साथ अहिंसा के मार्ग पर चलकर अपना जीवन व्यतीत करता है। वही सबसे सुखी रहता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन हमेशा प्रेम के साथ अच्छे कामो में व्यतीत होता है।
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