Vidur Niti: विदुर नीति आदमी को इंसान बनने के लिए प्रेरित करती है। मनुष्य केवल मनुष्य होने से श्रेष्ठ नहीं हो जाता। विदुर नीति के अनुसार, मनुष्य वह है जो दया, करुणा और प्रेम को अपनाए और बिना ईर्ष्या के व्यवहार करे। आइए जानते हैं आज की विदुर नीति-
विदुर भी महाभारत के लोकप्रिय पात्रों में से एक थे। विदुर ने हमेशा धृतराष्ट्र को सही सलाह दी। दासी पुत्र होने के कारण वह राजा नहीं बन सके। लेकिन हर कोई उनकी तेज बुद्धि और ज्ञान से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। इसीलिए हस्तिनापुर के राजा पांडु ने उन्हें अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया। बाद में वे धृतराष्ट्र के सलाहकार भी बने। विदुर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने महाभारत युद्ध के खतरों का पूर्वाभास किया था। विदुर ने एक सलाहकार के रूप में धृतराष्ट्र के साथ जो भी संवाद किया। उसे विदुर नीति कहा गया। विदुर नीति (Vidur Niti) जीवन में बहुत अच्छी सलाह देती है। विदुर नीति (Vidur Niti) इस बात पर विस्तार से प्रकाश डालती है कि एक व्यक्ति को कैसा व्यवहार करना चाहिए और एक इंसान के रूप में एक व्यक्ति की क्या जिम्मेदारी है।
पद नहीं व्यक्ति को दें वरीयता
विदुर की नीति के अनुसार ऐसे लोग जो अपने पद यानि ओहदे के नशे में धुत होते हैं। और अहंकार में डूब जाते हैं। ऐसे व्यक्ति शीघ्र ही पतन की ओर अग्रसर होते हैं। पद मिलने के बाद व्यक्ति यह भूल जाता है कि पद एक जिम्मेदारी है। पद एक साधन है साध्य नहीं। पद प्राप्त कर व्यक्ति स्वयं को श्रेष्ठ और सर्वोपरि मानता है। लेकिन वह भूल जाता है कि पद स्थायी नहीं है। यह कुछ समय के लिए सिर पर रखा हुआ मुकुट होता है। जो एक समय सीमा के बाद चला जाएगा। लेकिन इंसान की जिंदगी लंबे समय तक चलती है। पद के अभिमान से तिरस्कृत, घृणा और अपने सम्मान से वंचित था। पद का दुरूपयोग कर लोगों का शोषण किया। उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। जब ऐसे लोगों के पास कोई पद नहीं होता तो ऐसे व्यक्ति समाज में अकेले रह जाते हैं। इसलिए कभी भी किसी पद के होने पर घंमड नहीं करना चाहिए।
प्रेम ही सत्य है, प्रेम की शक्ति पहचाने
प्रेम ही एक ऐसा मार्ग है। जिस पर चलकर व्यक्ति अमर हो जाता है। ईश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति को प्रेम करने की शक्ति दी है। लेकिन इंसान अपने स्वार्थ में इस कदर डूबा रहता है कि प्रेम करना ही भूल जाता है। प्रेम ही इंसान को महान बनाता है। वह आदमी जिसने प्रेम करना सिख लिया। प्रेम पर टिकी है ये दुनिया, जब प्रेम कम होने लगता है तो आपसी सौहार्द का ताना-बाना बिखरने लगता है। दूसरी ओर जब कट्टरता और कठोरता अपने चरम पर होती है। तब प्रेम का बीज अंकुरित होता है।
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