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मजबूत इम्युनिटी के लिए जरूरी है विटामिन-डी, लेकिन भूल से भी न करे अत्यधिक सेवन, हो सकते हैं गंभीर साइड-इफेक्ट्स

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Vitamin-D side Effects: दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले सभी लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोना के नए रूप, जैसे ओमाइक्रोन, उन लोगों में भी संक्रमण का कारण बन सकते हैं। जिन्हें टीका लगाया गया है। ऐसे में सभी लोगों को इसकी रोकथाम के लिए पर्याप्त उपाय करते रहना जरूरी है। यही वजह है कि लोग एक बार फिर से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले उपायों का इस्तेमाल करने लगे हैं। कोरोना की दूसरी लहर की तरह लोग फिर से विटामिन-डी, काढ़ा और अन्य उपायों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

Vitamin-D side Effects: लेकिन कोरोना से बचाव के लिए कहीं बड़ी मात्रा में तो आप विटामिन-डी का सेवन नहीं कर रहे हैं? स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार इम्युनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों और सप्लीमेंट्स का सेवन करना बेहतर माना जाता है। हालांकि इसकी अधिक मात्रा के कारण शरीर में कई गंभीर दुष्प्रभावों का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन-डी के अधिक सेवन से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। आइए आगे जानते हैं इसके साइड-इफेक्ट्स के बारे में।

विटामिन डी का सेवन कितना करना चाहिए

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी विटामिन या पोषक तत्व से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इसका सही मात्रा में सेवन करने की आवश्यकता होती है। प्रतिदिन 400-800 IU या 10-20 माइक्रोग्राम की मात्रा में इस विटामिन का सेवन शरीर के लिए अच्छा माना जाता है। हालांकि इसका ज्यादा सेवन हानिकारक भी हो सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

पेट की समस्या

विटामिन डी भोजन के माध्यम से कैल्शियम के अवशोषण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण माना जाता है। विटामिन डी का उच्च स्तर शरीर में कैल्शियम के स्तर को अपने आप बढ़ा देगा। कैल्शियम की मात्रा बढ़ने से सभी तरह की पाचन संबंधी समस्याएं जैसे जी मिचलाना, कब्ज और पेट दर्द की समस्या बढ़ सकती है। कुछ लोगों में, यह चक्कर आना, मतिभ्रम, अत्यधिक पेशाब, भूख न लगना, गुर्दे की पथरी और उच्च रक्तचाप का कारण भी बन सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्या

विटामिन डी की अधिकता मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकती है। चूंकि विटामिन डी की अधिकता हाइपरलकसीमिया की समस्या को बढ़ा देती है। जिससे कई प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में लोगों को भ्रम, मनोविकृति और अवसाद का खतरा बढ़ जाता है।

गुर्दे की बीमारी

विटामिन डी की अधिकता से किडनी की बीमारी या किडनी फेल भी हो सकती है। विटामिन डी के उच्च स्तर से कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है। जिससे अत्यधिक पेशाब और शरीर में पानी की कमी हो जाती है। कुछ मामलों में, गुर्दे की रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं। जिससे गुर्दे की कार्यक्षमता कम हो सकती है।

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