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वृषभ संक्रांति 2021: जानिए वृषभ संक्रांति कब है, पूजा विधि और महत्व

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Vrishabha Sankranti Kab Hai 2021: मकर संक्रांति के समान वृषभ संक्रांति को माना गया है। वृषभ संक्रांति के दिन पूजा-पाठ, जप, तप और दान का विशेष महत्व है। 14 मई शुक्रवार के दिन वृषभ संक्रांति (Vrishabha Sankranti) मनाई जाएगी। इस दिन पवित्र नदी अथवा जलकुंड में नहाने से तीर्थस्थलों के जैसे पुण्यफल मिलता है।

Vrishabha Sankranti Kab Hai 2021: वृषभ संक्रांति पूजा विधि और मंत्र

    • ब्रह्म बेला में उठें।
    • घर की साफ-सफाई करें।
    • स्नान ध्यान करें।
    • घर पर ही गंगाजल (Ganges water) मिश्रित पानी से स्नान करें।
    • सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें।

भगवान विष्णु जी की पूजा

    • पूजा फल, फूल, धूप-दीप, दूर्वा आदि से करें।
    • गरीबों को यथा शक्ति तथा भक्ति के भाव से दान दें।
    • तंदुल, हल्दी, कंबल, मुद्रा इत्यादि दान में दे सकते हैं।
    • उपवास रखें।
    • शाम को आरती अर्चना के बाद फलाहार ग्रहण कर सकते है।
    • अगले दिन स्नान-ध्यान, पूजा आराधना (worship) के बाद व्रत खोलें

वृषभ संक्रांति क्या है?

एक राशि से दूसरी राशि में सूर्य देव एक मास में संचरण करते हैं। जब एक राशि से दूसरी राशि में सूर्य देव गोचर करते हैं। तो इसे संक्रांति कहा जाता है। जब उच्च राशि राशि मेष से निकलकर सूर्य देव वृष राशि में प्रवेश करते हैं। तो इसे वृषभ संक्रांति कहा जाता है।

वृषभ संक्रांति का महत्व

इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस माह में प्यासे को पानी पिलाने या फिर घर के बाहर प्याऊ लगाने से जातको को यज्ञ कराने के कराने के समान पुण्यफल मिलता है।

इस दौरान लगता है नौतपा 

सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में वृषभ संक्रांति के दौरान आते हैं। 15 दिनों तक इस नक्षत्र में रहते हैं। प्रचंड गर्मी शुरूआती नौ दिनों तक पड़ती है। और नवतपा’ इन 9 दिनों को कहा जाता है। किसी भी प्रकार से वर्षा (rain) न हो और न ही ठंठी हवा यदि इन 9 दिनों में चले तो यह माना जाता है की अच्छी बारिश आने वाले दिनों में हो सकती है।

यह भी पढ़ें- चाणक्य नीति: यह पांच संकेत बताते है, आप होने वाले कंगाल, हो जाएं तुरंत सावधान

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