Yogini Ekadashi Kab Hai 2022: योगिनी एकादशी का व्रत विधि अनुसार करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन करने का फल मिलता है इसलिए इस व्रत का अपना विशेष महत्व है। योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है। योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने वाले भक्तों को पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।
Yogini Ekadashi Kab Hai 2022: हमारे सनातन धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। इस दिन संसार के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं और प्रत्येक पक्ष में एक एकादशी आती है। आषाढ़ का महीना शुरू हो गया है, इसलिए 24 जून को कृष्ण पक्ष एकादशी है जिसे योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत विधि अनुसार करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन करने के बराबर फल मिलता है। इसलिए इस व्रत का अपना विशेष महत्व है. योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है। योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने वाले भक्तों को पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। यह भी कहा जाता है कि जो लोग योगिनी एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें मृत्यु के बाद भगवान विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है। महाभारत में स्वयं श्रीकृष्ण ने धर्मराज और कुंती पुत्र युधिष्ठिर को इस व्रत का महत्व समझाया था। इस महीने की एकादशी 24 जून को पूरे दिन चलने वाली है और 25 जून को सुबह 8 बजे तक मंदिर में विष्णु के दर्शन कर व्रत तोड़ा जा सकता है।
एकादशी का महत्व
श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से कहा कि जो इस एकादशी का व्रत करता है। उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे नरक का कोई कष्ट नहीं उठाना पड़ता। जो लोग योगिनी एकादशी का व्रत करते हैं, उनकी आत्मा श्री विष्णु के धाम को प्राप्त होती है। ऐसे भक्त को यमराज के दूत कोई कष्ट नहीं पहुंचा सकते। इस व्रत को करने वाले को 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का पुण्य मिलता है। श्री कृष्ण ने आगे कहा, जो कोई भी इस दिन भक्ति के साथ व्रत रखकर भगवान की पूजा करता है। उसका कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
एकादशी नियम
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन भोजन नहीं करना चाहिए और वाणी पर संयम रखना चाहिए। यदि इस दिन आप अपनी वाणी से किसी को क्रोधित या आहत करते हैं तो भी व्रत टूटा हुआ माना जाता है। पूजा के बाद और पारण के बाद गरीबों को भोजन कराना चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने वाले को जमीन पर सोना चाहिए और मांस या शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन व्रत पूरी सफाई के साथ करना होता है। शाम को श्री विष्णु की पूजा और आरती करने के बाद फलों का सेवन करें और अगले दिन मंदिर में विष्णु के दर्शन करके व्रत पारण करके ही अन्न ग्रहण करें। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान विष्णु की 108 परिक्रमा करता है वह जीवन के बंधन से मुक्त हो जाता है।